केरल विमान हादसे में पायलट डीवी साठे ने अपनी जान देकर बचाई सैकड़ों लोगों की जान, वायुसेना में रह चुके थे विंग कमांडर।
कैप्टन डीवी साठे इंडियन एयरफोर्स में विंग कमांडर रह चुके थे। एयर इंडिया में शामिल होने से वह पहले भारतीय वायुसेना में एक प्रायोगिक परीक्षण पायलट थे। बताया जा रहा है कि कैप्टन दीपक साठे मिग 21 के भी पायलट थे, जो 17 स्क्वाड्रन (गोल्डन एरो) अंबाला में रहे। स्क्वाड्रन 1999 कारगिल युद्ध में भी गया था। कैप्टन साठे वायुसेना प्रशिक्षण अकादमी में प्रशिक्षक भी रहे।
डीवी साठे ने एयरफोर्स में लंबा समय बिताया था। उनको 11 जून 1981 को एयरफोर्स में कमीशन मिली थी और 22 साल की सेवा के बाद 30 जून 2003 को रिटायर हुए थे। एयरफोर्स में उन्होंने एएफए में स्वॉर्ड ऑफ ऑनर जीता था और फाइटर पायलट बने थे। एयर इंडिया एक्सप्रेस 737 में जाने से पहले दीपक एयर इंडिया के एयरबस 310 की उड़ान भी भर चुके थे। इसके अलावा वह एचएएल के टेस्ट पायलट भी रहे थे। जानकारों की मानें तो यह पायलट की समझदारी ही थी, जिसकी वजह से ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बच गई।
कैप्टन दीपक साठे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के पूर्व छात्र थे। उन्हें राष्ट्रपति पदक भी प्रदान किया गया था। एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) भूषण गोखले ने बताया कि कैप्टन दीपक वी. साठे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के 58वें पाठ्यक्रम से थे। उन्होंने जून, 1981 में सोर्ड ऑफ ऑनर के साथ वायुसेना अकादमी को पास किया था। वह भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट (विंग कमांडर) भी रहे थे। वह बेहतरीन स्क्वैश खिलाड़ी भी थे। दीपक साठे के पिता सेना में ब्रिगेडियर थे। उन्होंने अपना दूसरा बेटा खोया है। उनके पहले पुत्र कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे। दीपक देश के उन चुनिंदा पायलटों में से एक थे, जिन्होंने एयर इंडिया के एयरबस 310 विमान और बोइंग 737 को उड़ाया था।
एयर इंडिया के अफसरों के मुताबिक, दीपक एयर इंडिया के बेहतरीन पायलटों में से एक थे। कोझिकोड हादसे के बाद हर कोई उन्हें याद करते हुए कह रहा है कि एयर इंडिया ने एक बेहद काबिल अधिकारी को खो दिया है। ग्लोबल फ्लाइट ट्रैकर वेबसाइट 'फ्लाइटरडार24' के मुताबिक, केरल में एयर इंडिया एक्सप्रेस के विमान ने कोझिकोड एयरपोर्ट पर दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले कई बार ऊपर चक्कर लगाए थे और दो बार और भी उतरने की कोशिश की थी, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिल पाई थी।
कैप्टन डीवी साठे इंडियन एयरफोर्स में विंग कमांडर रह चुके थे। एयर इंडिया में शामिल होने से वह पहले भारतीय वायुसेना में एक प्रायोगिक परीक्षण पायलट थे। बताया जा रहा है कि कैप्टन दीपक साठे मिग 21 के भी पायलट थे, जो 17 स्क्वाड्रन (गोल्डन एरो) अंबाला में रहे। स्क्वाड्रन 1999 कारगिल युद्ध में भी गया था। कैप्टन साठे वायुसेना प्रशिक्षण अकादमी में प्रशिक्षक भी रहे।
डीवी साठे ने एयरफोर्स में लंबा समय बिताया था। उनको 11 जून 1981 को एयरफोर्स में कमीशन मिली थी और 22 साल की सेवा के बाद 30 जून 2003 को रिटायर हुए थे। एयरफोर्स में उन्होंने एएफए में स्वॉर्ड ऑफ ऑनर जीता था और फाइटर पायलट बने थे। एयर इंडिया एक्सप्रेस 737 में जाने से पहले दीपक एयर इंडिया के एयरबस 310 की उड़ान भी भर चुके थे। इसके अलावा वह एचएएल के टेस्ट पायलट भी रहे थे। जानकारों की मानें तो यह पायलट की समझदारी ही थी, जिसकी वजह से ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बच गई।
कैप्टन दीपक साठे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के पूर्व छात्र थे। उन्हें राष्ट्रपति पदक भी प्रदान किया गया था। एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) भूषण गोखले ने बताया कि कैप्टन दीपक वी. साठे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के 58वें पाठ्यक्रम से थे। उन्होंने जून, 1981 में सोर्ड ऑफ ऑनर के साथ वायुसेना अकादमी को पास किया था। वह भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट (विंग कमांडर) भी रहे थे। वह बेहतरीन स्क्वैश खिलाड़ी भी थे। दीपक साठे के पिता सेना में ब्रिगेडियर थे। उन्होंने अपना दूसरा बेटा खोया है। उनके पहले पुत्र कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे। दीपक देश के उन चुनिंदा पायलटों में से एक थे, जिन्होंने एयर इंडिया के एयरबस 310 विमान और बोइंग 737 को उड़ाया था।
एयर इंडिया के अफसरों के मुताबिक, दीपक एयर इंडिया के बेहतरीन पायलटों में से एक थे। कोझिकोड हादसे के बाद हर कोई उन्हें याद करते हुए कह रहा है कि एयर इंडिया ने एक बेहद काबिल अधिकारी को खो दिया है। ग्लोबल फ्लाइट ट्रैकर वेबसाइट 'फ्लाइटरडार24' के मुताबिक, केरल में एयर इंडिया एक्सप्रेस के विमान ने कोझिकोड एयरपोर्ट पर दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले कई बार ऊपर चक्कर लगाए थे और दो बार और भी उतरने की कोशिश की थी, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिल पाई थी।