SHUBHA PRBHAATb (Hindi kachi (gadbad) he par kosise to aap log hi Bata sakte ho )...
पङ्छियो का चिरबिरना
फुल फिरसे खिलखिलाना
ये सब केहेरहि है फिर से
तुम जिलो मुस्कुराके
बितिहुइ गमको भुला के
हर रात ने गमको गोदिमे लिया है
शुबहने खुसियोका सबेरा दिया है
पेहेचान उसे और जानले तु
जो हे उसिको अपना मानले तु
जो दर्द देता हे उसकी याद करना क्यु
खोना पाना दस्तुर हे फिर डरना क्यु
तु चल्ते जा अप्ने मन्जिल कि और
किसिकी लिये आप्ना लक्ष्य बदल्ना क्यु
मन्जिल तेरे सामने हे, तु कहि और
सम्हाल खुद्को करले थोडि सि गौर
ऐसे ख्वाब और सप्ने देख्ने से कुछ नहि होता
किसको मिला है बिन सङ्हर्स यहाँ सौर
पङ्छियो का चिरबिरना
फुल फिरसे खिलखिलाना
ये सब केहेरहि है फिर से
तुम जिलो मुस्कुराके
बितिहुइ गमको भुला के
हर रात ने गमको गोदिमे लिया है
शुबहने खुसियोका सबेरा दिया है
पेहेचान उसे और जानले तु
जो हे उसिको अपना मानले तु
जो दर्द देता हे उसकी याद करना क्यु
खोना पाना दस्तुर हे फिर डरना क्यु
तु चल्ते जा अप्ने मन्जिल कि और
किसिकी लिये आप्ना लक्ष्य बदल्ना क्यु
मन्जिल तेरे सामने हे, तु कहि और
सम्हाल खुद्को करले थोडि सि गौर
ऐसे ख्वाब और सप्ने देख्ने से कुछ नहि होता
किसको मिला है बिन सङ्हर्स यहाँ सौर