टूट चूका हूँ, बिखरना बांकी है,
बचे कुछ एहसास , जिनका जाना बांकी है,
चंद सांसें है, जिनका आना बांकी है,
मौत रोज मेरे सिरहाने खड़ी पूछती है
भाई आ जा अब क्या देखना बांकी है
दूरियां इतनी बढ़ जाएंगी, मालूम ना था
वो बाबू से बेवफा बन जाएंगे, मालूम ना था
हम उनके लिए पागल हो जाएंगे मालूम ना था
जो अपना चेहरा हमारी आँखों में देखते थे
वो आईना , बदल लेंगे मालूम ना था!
बचे कुछ एहसास , जिनका जाना बांकी है,
चंद सांसें है, जिनका आना बांकी है,
मौत रोज मेरे सिरहाने खड़ी पूछती है
भाई आ जा अब क्या देखना बांकी है
दूरियां इतनी बढ़ जाएंगी, मालूम ना था
वो बाबू से बेवफा बन जाएंगे, मालूम ना था
हम उनके लिए पागल हो जाएंगे मालूम ना था
जो अपना चेहरा हमारी आँखों में देखते थे
वो आईना , बदल लेंगे मालूम ना था!