इक अजनबी झोंके ने पूछा, मेरे ग़म का सबब
सहरा की भीगी रेत मैंने लिखा, आवारगी
ले अब तो दश्त-ए-शब की, सारी वुस'अतें सोने लगीं
अब जागना होगा हमें कब तक बता, आवारगी
सहरा की भीगी रेत मैंने लिखा, आवारगी
ले अब तो दश्त-ए-शब की, सारी वुस'अतें सोने लगीं
अब जागना होगा हमें कब तक बता, आवारगी