The best poem one of my favourite by Poet vyas jii
माँ.....
माँ संवेदना है, भावना है, अहसास है माँ
माँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास है माँ
माँ रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है माँ
माँ मरुथल में नदी या मीठा सा झरना है माँ
माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है माँ
माँ पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है माँ
माँ आखों का सिसकता हुआ किनारा है माँ
माँ गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है माँ
माँ झुलसते दिनों में कोयल की बोली है माँ
माँ मेहंदी है, कुमकुम है, सिंदूर की रोली है माँ
माँ कलम है, दवात है, स्याही है माँ
माँ परमात्मा की स्वयं एक गवाही है माँ
माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है माँ
माँ फूंक से ठंडा किया हुआ कलेवा है माँ
माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है माँ
माँ जिंदगी है, मुहल्ले में आत्मा का भवन है माँ
माँ चूड़ी वाले हााथों पे मजबूत कंधों का नाम है माँ
माँ काशी है, काबा है, चारो धाम है माँ
माँ चिंता है, याद है, हिचकी है
माँ बच्चे की चोट पर सिसकी है
माँ चूल्हा, धुआँ, रोटी और हाथों का छाला है माँ
माँ जिंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है माँ
माँ पृथ्वी है, जगत है, धूरी है
मां बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है
तो माँ की यह कथा अनादि है, अध्याय नहीं है
और माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है
तो माँ का महत्व दुनियाँ में कम हो नहीं सकता
औ माँ जैसा दुनियाँ में कुछ हो नहीं सकता
माँ.....
माँ संवेदना है, भावना है, अहसास है माँ
माँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास है माँ
माँ रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है माँ
माँ मरुथल में नदी या मीठा सा झरना है माँ
माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है माँ
माँ पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है माँ
माँ आखों का सिसकता हुआ किनारा है माँ
माँ गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है माँ
माँ झुलसते दिनों में कोयल की बोली है माँ
माँ मेहंदी है, कुमकुम है, सिंदूर की रोली है माँ
माँ कलम है, दवात है, स्याही है माँ
माँ परमात्मा की स्वयं एक गवाही है माँ
माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है माँ
माँ फूंक से ठंडा किया हुआ कलेवा है माँ
माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है माँ
माँ जिंदगी है, मुहल्ले में आत्मा का भवन है माँ
माँ चूड़ी वाले हााथों पे मजबूत कंधों का नाम है माँ
माँ काशी है, काबा है, चारो धाम है माँ
माँ चिंता है, याद है, हिचकी है
माँ बच्चे की चोट पर सिसकी है
माँ चूल्हा, धुआँ, रोटी और हाथों का छाला है माँ
माँ जिंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है माँ
माँ पृथ्वी है, जगत है, धूरी है
मां बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है
तो माँ की यह कथा अनादि है, अध्याय नहीं है
और माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है
तो माँ का महत्व दुनियाँ में कम हो नहीं सकता
औ माँ जैसा दुनियाँ में कुछ हो नहीं सकता