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✨ ❤️ लड़के ❤️✨

Rockzz ✨श्वेतराग✨

खराब किस्मत का बादशाह (King of bad luck)
Senior's
Chat Pro User
लड़के ! हमेशा खड़े रहे.
खड़े रहना उनकी मजबूरी नहीं रही बस !
उन्हें कहा गया हर बार,
चलो तुम तो लड़के हो
खड़े हो जाओ.

छोटी-छोटी बातों पर वे खड़े रहे,
बस में, ट्रेन में, कक्षा के बाहर..
स्कूल विदाई पर जब ली गई ग्रुप फोटो,
लड़कियाँ हमेशा आगे बैठीं,
और लड़के बगल में हाथ दिए पीछे खड़े रहे.

वे तस्वीरों में आज तक खड़े हैं..
कॉलेज के बाहर खड़े होकर,
करते रहे किसी लड़की का इंतज़ार,
या किसी घर के बाहर घंटों खड़े रहे,
एक झलक, एक हाँ के लिए..
अपने आपको आधा छोड़
वे आज भी वहीं रह गए हैं...

बहन-बेटी की शादी में
खड़े रहे,
मंडप के बाहर

बारात का स्वागत करने के लिए.
खड़े रहे
रात भर
हलवाई के पास,
कभी भाजी में कोई कमी ना रहे.

खड़े रहे खाने की स्टाल के साथ,
कोई स्वाद कहीं खत्म न हो जाए.
खड़े रहे विदाई तक
दरवाजे के सहारे और टैंट के
अंतिम पाईप के उखड़ जाने तक.
बेटियाँ-बहनें जब तक वापिस लौटेंगी
वे खड़े ही मिलेंगे...
वे खड़े रहे पत्नी को सीट पर
बैठाकर,बस या ट्रेन की खिड़की थाम कर..
वे खड़े रहे
बहन के साथ घर के काम में,
कोई भारी सामान थामकर.
वे खड़े रहे
माँ के ऑपरेशन के समय ओ. टी.के बाहर घंटों...
वे खड़े रहे
पिता की मौत पर अंत तक दफ़नाने तक...
वे खड़े रहे,

लड़कों ! रीढ़ तो तुम्हारी पीठ में भी है,
क्या यह अकड़ती नहीं ?

बेटी पर तो बहुत लिखा जाता है

आज बेटों पर लिखा कहीं पढ़ा,तो मन किया सब से सांझा कर लूं।

आपके लिए....❤️❤️
FB_IMG_1710495160917.jpg
 
लड़के ! हमेशा खड़े रहे.
खड़े रहना उनकी मजबूरी नहीं रही बस !
उन्हें कहा गया हर बार,
चलो तुम तो लड़के हो
खड़े हो जाओ.

छोटी-छोटी बातों पर वे खड़े रहे,
बस में, ट्रेन में, कक्षा के बाहर..
स्कूल विदाई पर जब ली गई ग्रुप फोटो,
लड़कियाँ हमेशा आगे बैठीं,
और लड़के बगल में हाथ दिए पीछे खड़े रहे.

वे तस्वीरों में आज तक खड़े हैं..
कॉलेज के बाहर खड़े होकर,
करते रहे किसी लड़की का इंतज़ार,
या किसी घर के बाहर घंटों खड़े रहे,
एक झलक, एक हाँ के लिए..
अपने आपको आधा छोड़
वे आज भी वहीं रह गए हैं...

बहन-बेटी की शादी में
खड़े रहे,
मंडप के बाहर

बारात का स्वागत करने के लिए.
खड़े रहे
रात भर
हलवाई के पास,
कभी भाजी में कोई कमी ना रहे.

खड़े रहे खाने की स्टाल के साथ,
कोई स्वाद कहीं खत्म न हो जाए.
खड़े रहे विदाई तक
दरवाजे के सहारे और टैंट के
अंतिम पाईप के उखड़ जाने तक.
बेटियाँ-बहनें जब तक वापिस लौटेंगी

वे खड़े ही मिलेंगे...
वे खड़े रहे पत्नी को सीट पर
बैठाकर,बस या ट्रेन की खिड़की थाम कर..
वे खड़े रहे
बहन के साथ घर के काम में,
कोई भारी सामान थामकर.
वे खड़े रहे
माँ के ऑपरेशन के समय ओ. टी.के बाहर घंटों...
वे खड़े रहे
पिता की मौत पर अंत तक दफ़नाने तक...
वे खड़े रहे,

लड़कों ! रीढ़ तो तुम्हारी पीठ में भी है,
क्या यह अकड़ती नहीं ?

बेटी पर तो बहुत लिखा जाता है

आज बेटों पर लिखा कहीं पढ़ा,तो मन किया सब से सांझा कर लूं।


आपके लिए....❤️❤️
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Nice badhiya
 
लड़के ! हमेशा खड़े रहे.
खड़े रहना उनकी मजबूरी नहीं रही बस !
उन्हें कहा गया हर बार,
चलो तुम तो लड़के हो
खड़े हो जाओ.

छोटी-छोटी बातों पर वे खड़े रहे,
बस में, ट्रेन में, कक्षा के बाहर..
स्कूल विदाई पर जब ली गई ग्रुप फोटो,
लड़कियाँ हमेशा आगे बैठीं,
और लड़के बगल में हाथ दिए पीछे खड़े रहे.

वे तस्वीरों में आज तक खड़े हैं..
कॉलेज के बाहर खड़े होकर,
करते रहे किसी लड़की का इंतज़ार,
या किसी घर के बाहर घंटों खड़े रहे,
एक झलक, एक हाँ के लिए..
अपने आपको आधा छोड़
वे आज भी वहीं रह गए हैं...

बहन-बेटी की शादी में
खड़े रहे,
मंडप के बाहर

बारात का स्वागत करने के लिए.
खड़े रहे
रात भर
हलवाई के पास,
कभी भाजी में कोई कमी ना रहे.

खड़े रहे खाने की स्टाल के साथ,
कोई स्वाद कहीं खत्म न हो जाए.
खड़े रहे विदाई तक
दरवाजे के सहारे और टैंट के
अंतिम पाईप के उखड़ जाने तक.
बेटियाँ-बहनें जब तक वापिस लौटेंगी

वे खड़े ही मिलेंगे...
वे खड़े रहे पत्नी को सीट पर
बैठाकर,बस या ट्रेन की खिड़की थाम कर..
वे खड़े रहे
बहन के साथ घर के काम में,
कोई भारी सामान थामकर.
वे खड़े रहे
माँ के ऑपरेशन के समय ओ. टी.के बाहर घंटों...
वे खड़े रहे
पिता की मौत पर अंत तक दफ़नाने तक...
वे खड़े रहे,

लड़कों ! रीढ़ तो तुम्हारी पीठ में भी है,
क्या यह अकड़ती नहीं ?

बेटी पर तो बहुत लिखा जाता है

आज बेटों पर लिखा कहीं पढ़ा,तो मन किया सब से सांझा कर लूं।


आपके लिए....❤️❤️
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Ohoooo nice..
 
लड़के ! हमेशा खड़े रहे.
खड़े रहना उनकी मजबूरी नहीं रही बस !
उन्हें कहा गया हर बार,
चलो तुम तो लड़के हो
खड़े हो जाओ.

छोटी-छोटी बातों पर वे खड़े रहे,
बस में, ट्रेन में, कक्षा के बाहर..
स्कूल विदाई पर जब ली गई ग्रुप फोटो,
लड़कियाँ हमेशा आगे बैठीं,
और लड़के बगल में हाथ दिए पीछे खड़े रहे.

वे तस्वीरों में आज तक खड़े हैं..
कॉलेज के बाहर खड़े होकर,
करते रहे किसी लड़की का इंतज़ार,
या किसी घर के बाहर घंटों खड़े रहे,
एक झलक, एक हाँ के लिए..
अपने आपको आधा छोड़
वे आज भी वहीं रह गए हैं...

बहन-बेटी की शादी में
खड़े रहे,
मंडप के बाहर

बारात का स्वागत करने के लिए.
खड़े रहे
रात भर
हलवाई के पास,
कभी भाजी में कोई कमी ना रहे.

खड़े रहे खाने की स्टाल के साथ,
कोई स्वाद कहीं खत्म न हो जाए.
खड़े रहे विदाई तक
दरवाजे के सहारे और टैंट के
अंतिम पाईप के उखड़ जाने तक.
बेटियाँ-बहनें जब तक वापिस लौटेंगी

वे खड़े ही मिलेंगे...
वे खड़े रहे पत्नी को सीट पर
बैठाकर,बस या ट्रेन की खिड़की थाम कर..
वे खड़े रहे
बहन के साथ घर के काम में,
कोई भारी सामान थामकर.
वे खड़े रहे
माँ के ऑपरेशन के समय ओ. टी.के बाहर घंटों...
वे खड़े रहे
पिता की मौत पर अंत तक दफ़नाने तक...
वे खड़े रहे,

लड़कों ! रीढ़ तो तुम्हारी पीठ में भी है,
क्या यह अकड़ती नहीं ?

बेटी पर तो बहुत लिखा जाता है

आज बेटों पर लिखा कहीं पढ़ा,तो मन किया सब से सांझा कर लूं।


आपके लिए....❤️❤️
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Very nice bro
 
मैंने लड़कों को भी रोते देखा है ,
वो बातें बताते नहीं मगर एहसास जताते देखा है।

मैं हार जाऊंगा अकेला ,अक्सर ये कहते देखा है,
मैंने लड़कों को भी रोते देखा है।

उनको भी तकलीफ़ होती है हर ग़म में,
उस तकलीफ़ को अकेले अंधेरे में सहते देखा है।

मां-बाप की परेशानी को छुपकर सुनना,
और आंखों में आंसू, गहरी सोंच में डूबे देखा है।

मर्द को दर्द नहीं होता, ये खुद से बच्चों की तरह कहते देखा है,
मैंने लड़कों को भी रोते देखा है।

साथी का साथ छोड़, ख़्वाबों को कुचलते देखा है,
लड़कों को मैंने हर हाल में चलते देखा है।

टूटा हुआ होते हुए भी, मै तो मौज में हूं ,
ये लड़कों को कहते देखा है।
मैंने लड़कों को भी
दर्द सहते देखा है।
images.jpeg
 
आज मैं रो रहा था।
खयालों में खो रहा था।
तभी अंदर से एक आवाज़ आती है,
कि लड़के रोते नहीं!
इतने कमजोर वो होते नहीं।

ओह!
मैंने सोचा ,
लोग ऐसा क्यूं कहते हैं कि -
"लड़के रोते नहीं"
क्या वो जिम्मेदारियां ढोते नहीं?
या उनमें इमोशंस होते ही नहीं ?
ऐसा क्या है जो लड़के रोते नहीं ।

क्या बिन सपनों के वो रहते नहीं?
या पिता की डांट वो सहते नहीं?
कभी गौर किया है आपने उनको?
अगर हां! तो जानेंगे।
कि दुख तो बहुत है,
पर वो कभी कहते नहीं।
और फिर भी ये समाज कहता है कि,
लड़के रोते नहीं।।
मां- बाप के सपनों के खातिर वो सोते नहीं।
खुद को उपहार देने के पैसे होते नहीं ।
और इन बातो को सोचकर जब वो रोता है,
तोे ये समाज कहता है -
की लड़के रोते नहीं।।

हम रोएं तो हस्कर कहोगे -
Awwwww
लड़का होकर रो रहा है ।
अरे मै कहता हूं कि,
मै रोऊं या हसुं।
तुमको क्या हो रहा है !
क्या हमें रोने के लिए किसी की परमिशन चाहिए?
या सरकारी दफ्तर में दस्तावेजों का सबमिशन
चाहिए ।।
हमारे रोने पर हसने वाले ए लोगो,
तुम्हे बस हमें समझने का एक बेहतर विजन चाहिए।।
हम भी बिल्कुल तुम्हारे जैसे होते हैं।
और अगली याद रखना

की लड़के भी रोते हैं ।।
images (1).jpeg
 
आज मैं रो रहा था।
खयालों में खो रहा था।
तभी अंदर से एक आवाज़ आती है,
कि लड़के रोते नहीं!
इतने कमजोर वो होते नहीं।

ओह!
मैंने सोचा ,
लोग ऐसा क्यूं कहते हैं कि -
"लड़के रोते नहीं"
क्या वो जिम्मेदारियां ढोते नहीं?
या उनमें इमोशंस होते ही नहीं ?
ऐसा क्या है जो लड़के रोते नहीं ।

क्या बिन सपनों के वो रहते नहीं?
या पिता की डांट वो सहते नहीं?
कभी गौर किया है आपने उनको?
अगर हां! तो जानेंगे।
कि दुख तो बहुत है,
पर वो कभी कहते नहीं।
और फिर भी ये समाज कहता है कि,
लड़के रोते नहीं।।
मां- बाप के सपनों के खातिर वो सोते नहीं।
खुद को उपहार देने के पैसे होते नहीं ।
और इन बातो को सोचकर जब वो रोता है,
तोे ये समाज कहता है -
की लड़के रोते नहीं।।

हम रोएं तो हस्कर कहोगे -
Awwwww
लड़का होकर रो रहा है ।
अरे मै कहता हूं कि,
मै रोऊं या हसुं।
तुमको क्या हो रहा है !
क्या हमें रोने के लिए किसी की परमिशन चाहिए?
या सरकारी दफ्तर में दस्तावेजों का सबमिशन
चाहिए ।।
हमारे रोने पर हसने वाले ए लोगो,
तुम्हे बस हमें समझने का एक बेहतर विजन चाहिए।।
हम भी बिल्कुल तुम्हारे जैसे होते हैं।
और अगली याद रखना

की लड़के भी रोते हैं ।।
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Ati sundar
 
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