इन खुशियों के पीछे
ना जाने कितने छुपे है राज
कल तक था जिसपर इस दिल को नाज
तरसती है आँखे उसे देखने को आज
प्यारे थे शायर सिर्फ तेरे अलफ़ाज़
आज है वो मेरे गम के मुहताज़
मेरी हालत देख ना आएगी तुझे लाज
किसे सुनाऊ में अपने दर्द की आवाज़
जब तू रहा नहीं कभी साथ
फिर भी ना जाने क्यों करती हु
में पागल तेरी तस्वीरो से बात
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अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझे
मिरे अंदर से सभी रंग तुम्हारे निकले...