स्त्रियों में एक #गुण होता है जो की बहुत ही अद्भुत है ...
वह गुण है केे,
कोई भी पुरुष कितना भी सभ्य और चाहे कितनी भी सौम्य भाषा मे स्त्री से बात करेंं,
स्त्री तत्क्षण उस पुरुष के मन को भांप लेती है..पढ लेती है...
चंद बातों मे पुरुष को पहचान लेती है.....
उसके भीतर भरी प्रामाणिकता को..
उसके भीतर दबी पङी कामुकता को...
उसके भीतर चाहे फूल हों....
उसके भीतर चाहे कचरा हों ...
वह तत्क्षण जान लेती है....लेकीन स्त्री को जानना पुरुषों के लियें बडा कठिन है...
'स्त्री बिना पुरुष' अधूरा ही नहीं...
वरन् असंभव ही है...
और मजे की बात तो यह है कि...
बिना पुरुष के स्त्री अधुरी होकर भी अस्तित्वमान हो सकती है....
यहीं कारन है के स्त्री बङी ही नाजुक होकर भी जीवन की जननी भी है.....
वह गुण है केे,
कोई भी पुरुष कितना भी सभ्य और चाहे कितनी भी सौम्य भाषा मे स्त्री से बात करेंं,
स्त्री तत्क्षण उस पुरुष के मन को भांप लेती है..पढ लेती है...
चंद बातों मे पुरुष को पहचान लेती है.....
उसके भीतर भरी प्रामाणिकता को..
उसके भीतर दबी पङी कामुकता को...
उसके भीतर चाहे फूल हों....
उसके भीतर चाहे कचरा हों ...
वह तत्क्षण जान लेती है....लेकीन स्त्री को जानना पुरुषों के लियें बडा कठिन है...
'स्त्री बिना पुरुष' अधूरा ही नहीं...
वरन् असंभव ही है...
और मजे की बात तो यह है कि...
बिना पुरुष के स्त्री अधुरी होकर भी अस्तित्वमान हो सकती है....
यहीं कारन है के स्त्री बङी ही नाजुक होकर भी जीवन की जननी भी है.....