मर जाती है आवाज़ें,
मगर
ज़िंदा रहती हैं खामोशियाँ,
और खामोशियाँ,
अक्सर शोर करती हैं,
गूंजती हैं,
सन्नाटों में,
कभी महसूस करना तुम,
तब,
जब,
तुम्हारे चारों ओर पसरा हुआ हो
ढेर सारा सन्नाटा,
और हाँ,
तुम्हारे घर की दीवारों पर टंगी हुई हों
....... सिर्फ मेरी यादें .......
मगर
ज़िंदा रहती हैं खामोशियाँ,
और खामोशियाँ,
अक्सर शोर करती हैं,
गूंजती हैं,
सन्नाटों में,
कभी महसूस करना तुम,
तब,
जब,
तुम्हारे चारों ओर पसरा हुआ हो
ढेर सारा सन्नाटा,
और हाँ,
तुम्हारे घर की दीवारों पर टंगी हुई हों
....... सिर्फ मेरी यादें .......