रात की चांदनी में
खोया हुआ चांद
सोचता है बस एक तारे का नाम
जो दूर तो है उससे
पर करीब कुछ ज्यादा है
आसमान के बिछौले रंग में
वो ए खास सा वादा है
चल रहे हैं दोनों अपनी-अपनी दास्तान के पन्नों पर
और दस्ताने पन्नों पर एक ख्वाब आधा है
आधा अधूरापन
आध अंधेरा
आधे उजाले में
एक रात का सवेरा
जगाये है दोनों को
उठाए हैं दोनों
मिलने की चिट्ठी रोज पहुंचाएं है दोनों को
उड़ते उड़ाते करीब लाते
दोनों को उनके अधूरेपन की कमी गिनाते
सताएं हैं दोनों को
बलखाये है दोनों को
की
काली रात में चांदनी
छुपाए हैं दोनों को
कोई जानता नहीं है कोई मानता नहीं है
ये वो किस्सा है जो कोई पहचानता नहीं है
क्या चांद के बिना सितारे, सितारे लगेगें ?
क्या चांदनी के बिना , अंधेरा , अंधेरा लगेगा ?
या
सितारों के बिना चांद , चांदनी , में फिर रोज मिलेगा ?
यह कुछ सवाल है जो रोज जगाया करते हैं " चांद को ",
सितारे की याद में रोज घूमाया करते हैं, " चांद को ".
खोया हुआ चांद
सोचता है बस एक तारे का नाम
जो दूर तो है उससे
पर करीब कुछ ज्यादा है
आसमान के बिछौले रंग में
वो ए खास सा वादा है
चल रहे हैं दोनों अपनी-अपनी दास्तान के पन्नों पर
और दस्ताने पन्नों पर एक ख्वाब आधा है
आधा अधूरापन
आध अंधेरा
आधे उजाले में
एक रात का सवेरा
जगाये है दोनों को
उठाए हैं दोनों
मिलने की चिट्ठी रोज पहुंचाएं है दोनों को
उड़ते उड़ाते करीब लाते
दोनों को उनके अधूरेपन की कमी गिनाते
सताएं हैं दोनों को
बलखाये है दोनों को
की
काली रात में चांदनी
छुपाए हैं दोनों को
कोई जानता नहीं है कोई मानता नहीं है
ये वो किस्सा है जो कोई पहचानता नहीं है
क्या चांद के बिना सितारे, सितारे लगेगें ?
क्या चांदनी के बिना , अंधेरा , अंधेरा लगेगा ?
या
सितारों के बिना चांद , चांदनी , में फिर रोज मिलेगा ?
यह कुछ सवाल है जो रोज जगाया करते हैं " चांद को ",
सितारे की याद में रोज घूमाया करते हैं, " चांद को ".