सुंदर अभिव्यक्ति...उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
Bahut khud , par Thoda samjhi Thoda naiउस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
Thank you broसुंदर अभिव्यक्ति...
Kya nahi samjhi kya samjhiBahut khud , par Thoda samjhi Thoda nai
कुछ बातों समझाने से नहीं,उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
Bahut khoob bilkul sahiकुछ बातों समझाने से नहीं,
खुद पर बीत जाने से समझ आती है!
Bahut khoob bilkul sahi
हम लबों से कह न पाए उन से हाल-ए-दिल कभीहमने सोचा था की बताएंगे सब दुःख दर्द तुमको,
पर तुमने तो इतना भी न पूछा की ख़ामोश क्यों हो!
हम लबों से कह न पाए उन से हाल-ए-दिल कभी
और वो समझे नहीं ये ख़ामुशी क्या चीज़ है
कुछ बातों समझाने से नहीं,
खुद पर बीत जाने से समझ आती है!
वो संगदिल सनम है जो आपको समझता नहींहमने सोचा था की बताएंगे सब दुःख दर्द तुमको,
पर तुमने तो इतना भी न पूछा की ख़ामोश क्यों हो!
ये चुप्पी आखिर कब तलक साथ रखोगेहर कोई परेशान है मेरे कम बोलने से,
और मै तंग हूँ मेरे अंदर के शोर से!
मन के अंदर, बहुत शोर है,हर कोई परेशान है मेरे कम बोलने से,
और मै तंग हूँ मेरे अंदर के शोर से!
Are bhot khub .ap toh babbar sher nikle ..
वो संगदिल सनम है जो आपको समझता नहीं
चलो हमें ही बता दो इतनी खामोश क्यों हो
इसी बहाने ही सही सुन तो वो भी लेगा ही
फिर देखेंगे हम भी आपको वो कैसे समझता नहीं
ये चुप्पी आखिर कब तलक साथ रखोगे
ना वो बोलता है ना ही आप लब खोलती हैं
ऐसे तो परेशान सभी होंगे ना, तो
मुहूर्त निकालू क्या लब खोलने को..
Yeh bhi sahi hai ek noमन के अंदर, बहुत शोर है,
नजर नहीं आता, सामने जो मोड़ है।
सब कुछ नही, बाहर की दुनिया में,
मन के अंदर, सुकून का भी एक डोर है।
परखना सीखो अंदर और बाहर की दुनिया,
यही वह वक्त है, जहां होते सभी कमजोर है।
साहस कभी किसी राह में, ना कम रखना,
मन के अंदर, यही बात का बहुत शोर है।
हमें आप शर्मिंदा कर रही हैं।Are bhot khub .ap toh babbar sher nikle ..
Barbad na karde Tumheउस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
Yade samjhi sase samjhi bhadkane BHI samjhi bas ebadat nai samjhiKya nahi samjhi kya samjhi