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समझ....

Rockzz ✨श्वेतराग✨

खराब किस्मत का बादशाह (King of bad luck)
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Chat Pro User



कोई हालात नहीं समझता
तो कोई जज्बात नहीं समझता,
ये तो बस अपनी अपनी समझ है
कोई कोरा कागज भी पढ़ लेता है

तो कोई पूरी किताब नहीं समझता।।


 



कोई हालात नहीं समझता
तो कोई जज्बात नहीं समझता,
ये तो बस अपनी अपनी समझ है
कोई कोरा कागज भी पढ़ लेता है

तो कोई पूरी किताब नहीं समझता।।


Yeah ji.....It’s true that everyone has their own way of understanding things. Some see the surface, while others dig deeper.......... If you go deeper, you see the whole pain or joy..................... if you just see the surface.......... lol!

koi sirf kaghaz par likha padhta hai, aur doosre log uski asal kahani samajh lete hain... b/w nice lines sahab*
 
Yeah ji.....It’s true that everyone has their own way of understanding things. Some see the surface, while others dig deeper.......... If you go deeper, you see the whole pain or joy..................... if you just see the surface.......... lol!

koi sirf kaghaz par likha padhta hai, aur doosre log uski asal kahani samajh lete hain... b/w nice lines sahab*
Thank you...

Nothing is impossible to understand anything in any relationship....
The two makes only impossible by misunderstanding...

The fact is, if I have any problem/doubt/misconception/requirement I have to tell and make understand him/her...

And vice versa...

But generally, people make an illusion in their mind that other partner is bad by any means which simply leads to misunderstanding and break of relation..

While we use to trust to our partner and if any miscommunication we must have a talk to find the actual problem...
 
ख़ुदा से शिकायत करें तो लोग काफ़िरी समझ लेते हैं !
ना जाने क्यों शाम के सूरज को आखिरी समझ लेते हैं !
भला इसको क्या समझें, नासमझी, नादानी या बेरुखी,
हमको ना समझने वाले भी हमारी शायरी समझ लेते



कोई हालात नहीं समझता
तो कोई जज्बात नहीं समझता,
ये तो बस अपनी अपनी समझ है
कोई कोरा कागज भी पढ़ लेता है

तो कोई पूरी किताब नहीं समझता।।



ख़ुदा से शिकायत करें तो लोग काफ़िरी समझ लेते हैं !
ना जाने क्यों शाम के सूरज को आखिरी समझ लेते हैं !
भला इसको क्या समझें, नासमझी, नादानी या बेरुखी,
हमको ना समझने वाले भी हमारी शायरी समझ लेते हैं
 
आप जितना समझते हो
उतना बुरा भी नहीं हूं मैं
बस कुछ देर के लिए उलझा हुआ हूं अपनी जिंदगी में
पर इतना बुरा भी नहीं हूं मैं।

हां माना ग़लतियां बहुत करता हूं
और समझ भी नहीं पाता के गलती हुई,
पर वो मेरी नजरअंदाजी नहीं
थोड़ी वक़्त की उलझन है क्यूंकि
इतना बुरा भी नहीं हूं मैं।

हां थोड़ा उलझ सा गया हूं,
थोड़ा टूट सा गया हूं
वो क्या है लड़ाई अकेले लड़ता आया हूं ना
थोड़ा बिखर सा गया हूं मैं

अब आप मिल गए तो थोड़ा आपसे लड़ लेता हूं,
पर इतना भी बुरा नहीं हूं।
 



कोई हालात नहीं समझता
तो कोई जज्बात नहीं समझता,
ये तो बस अपनी अपनी समझ है
कोई कोरा कागज भी पढ़ लेता है

तो कोई पूरी किताब नहीं समझता।।


समझता हूँ मैं सब कुछ सिर्फ़ समझाना नहीं आता

तड़पता हूँ मगर औरों को तड़पाना नहीं आता।।
 
समझता हूँ मैं सब कुछ सिर्फ़ समझाना नहीं आता

तड़पता हूँ मगर औरों को तड़पाना नहीं आता।।
झूठ बोलकर तो मैं भी दरिया पार कर जाता
मगर डुबो दिया मुझे सच बोलने की आदत ने
 



कोई हालात नहीं समझता
तो कोई जज्बात नहीं समझता,
ये तो बस अपनी अपनी समझ है
कोई कोरा कागज भी पढ़ लेता है

तो कोई पूरी किताब नहीं समझता।।


Yeha to apne bhi apni ko nhi samjhata
 



कोई हालात नहीं समझता
तो कोई जज्बात नहीं समझता,
ये तो बस अपनी अपनी समझ है
कोई कोरा कागज भी पढ़ लेता है

तो कोई पूरी किताब नहीं समझता।।


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