सपनों में ही बसती है हर कहानी की जड़,
जागती आंखों से भी जो ना दिखे, वही असल मंजर।
साफ दिल से जो देखा, वही सच्चा संसार,
एक पल, एक विश्वास — बन जाए जीवन का सार।
रात की खामोशी में उतरते हैं अरमानों के दीये,
हर अंधेरे के पार होता है उजालों का सफ़र पूरा।
और तब समझ आता है —
जो अच्छा है, वो कहीं बाहर नहीं,
तेरे अंदर ही पलता रहा है बरसों से चुपचाप।
जागती आंखों से भी जो ना दिखे, वही असल मंजर।
साफ दिल से जो देखा, वही सच्चा संसार,
एक पल, एक विश्वास — बन जाए जीवन का सार।
रात की खामोशी में उतरते हैं अरमानों के दीये,
हर अंधेरे के पार होता है उजालों का सफ़र पूरा।
और तब समझ आता है —
जो अच्छा है, वो कहीं बाहर नहीं,
तेरे अंदर ही पलता रहा है बरसों से चुपचाप।