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सपने

Harcore_Ankit

Epic Legend
Chat Pro User
एक ख्वाब और बुनो ,
इस बार उसपे कोई नई राह चुनो ,
चुनो उसे, जो डगर मगर लुकी हो ,
बरसो से कुछ केहना चाहती हो,
और अरसो से दिल में छुपी हो ,
चलो उनके नन्हें कदमों के सहारे ,
फिर उन लड़खाते पैरो को सम्हालो ,
जब वो चलने लगे ,
तब उन कदमों को उस खुले आसमान में उतारो ,
यार कहानी तुम्हारी हैं ,
इसमें कोई और सवारी थोड़ी हैं ,
तो उतारो और होले होले कुछ आगे चलो ,
चलते चलते गुनगुनाओ और कुछ नई धुन बनाओ ,

उड़ान भरने दो उम्मीदों को ,
गुमनाम शहरो के खोए शोर में ,
ढूंढो खोई लहरों को ,
अपनी खोई मजधार में ,
उतारो कदमों को फलक पर ,
और
जानें दो उस गुलाबी आसमां के परे ,
उसी रंगीन आसमां पर
जहां कभी कई सपने बसाए थे ,
वो आसमां
जहां रोते रोते कई सपने सबसे छुपाए थे ,
किसी उजाले में सिमटे अंधेरों के अंदर ,
तो अब सम्हालो खुद को ,
और बढ़ाओ सपनो की अकीदत को
और पा लो दोबारा खुद में खुद के सपने को :)

कविता उतनी अच्छी तो नहीं है आशा करता हूं आपका समय खराब न किया हो इस बचकानी कविता ने :)
 
एक ख्वाब और बुनो ,
इस बार उसपे कोई नई राह चुनो ,
चुनो उसे, जो डगर मगर लुकी हो ,
बरसो से कुछ केहना चाहती हो,
और अरसो से दिल में छुपी हो ,
चलो उनके नन्हें कदमों के सहारे ,
फिर उन लड़खाते पैरो को सम्हालो ,
जब वो चलने लगे ,
तब उन कदमों को उस खुले आसमान में उतारो ,
यार कहानी तुम्हारी हैं ,
इसमें कोई और सवारी थोड़ी हैं ,
तो उतारो और होले होले कुछ आगे चलो ,
चलते चलते गुनगुनाओ और कुछ नई धुन बनाओ ,

उड़ान भरने दो उम्मीदों को ,
गुमनाम शहरो के खोए शोर में ,
ढूंढो खोई लहरों को ,
अपनी खोई मजधार में ,
उतारो कदमों को फलक पर ,
और
जानें दो उस गुलाबी आसमां के परे ,
उसी रंगीन आसमां पर
जहां कभी कई सपने बसाए थे ,
वो आसमां
जहां रोते रोते कई सपने सबसे छुपाए थे ,
किसी उजाले में सिमटे अंधेरों के अंदर ,
तो अब सम्हालो खुद को ,
और बढ़ाओ सपनो की अकीदत को
और पा लो दोबारा खुद में खुद के सपने को :)

कविता उतनी अच्छी तो नहीं है आशा करता हूं आपका समय खराब न किया हो इस बचकानी कविता ने :)
कविता वाकई बहुत अच्छी है छोटे..:clapping:

आख़िर क्यों हर तरफ शोर ऐसा होता है
जिससे मैं बेखबर और अंज़ान सा रहता हूं...

किसी की कमी मेरे हिस्से ना सही पर
किसी
के यादों में बेज़ान सा रहता हूं ....
 
एक ख्वाब और बुनो ,
इस बार उसपे कोई नई राह चुनो ,
चुनो उसे, जो डगर मगर लुकी हो ,
बरसो से कुछ केहना चाहती हो,
और अरसो से दिल में छुपी हो ,
चलो उनके नन्हें कदमों के सहारे ,
फिर उन लड़खाते पैरो को सम्हालो ,
जब वो चलने लगे ,
तब उन कदमों को उस खुले आसमान में उतारो ,
यार कहानी तुम्हारी हैं ,
इसमें कोई और सवारी थोड़ी हैं ,
तो उतारो और होले होले कुछ आगे चलो ,
चलते चलते गुनगुनाओ और कुछ नई धुन बनाओ ,

उड़ान भरने दो उम्मीदों को ,
गुमनाम शहरो के खोए शोर में ,
ढूंढो खोई लहरों को ,
अपनी खोई मजधार में ,
उतारो कदमों को फलक पर ,
और
जानें दो उस गुलाबी आसमां के परे ,
उसी रंगीन आसमां पर
जहां कभी कई सपने बसाए थे ,
वो आसमां
जहां रोते रोते कई सपने सबसे छुपाए थे ,
किसी उजाले में सिमटे अंधेरों के अंदर ,
तो अब सम्हालो खुद को ,
और बढ़ाओ सपनो की अकीदत को
और पा लो दोबारा खुद में खुद के सपने को :)

कविता उतनी अच्छी तो नहीं है आशा करता हूं आपका समय खराब न किया हो इस बचकानी कविता ने :)
मैंने सपनों को टूटते देखा है
जो मिला नहीं उसे खोते देखा है
लोग कहते हैं फूल सदा मुस्कुराते हैं
मैंने अकेले में फूलों को रोते देखा है
 
मैंने दीपक को बुझते देखा है
दोपहर में सूरज को ढलते देखा है
लोग कहते हैं पर्वत सदा ऊंचे होते हैं
मैंने अकेले में पर्वत को झुकते देखा है
मैंने अरमानों को मिटते देखा है
पतझड़ में बारिश को देखा है
लोग कहते हैं साहिल को हमेशा तूफां से लड़ना होता है
मैंने वीराने में तूफां को खुद से लड़ते देखा है
मैंने पत्थर को पिघलते देखा है
जो पलकें उठी नहीं उनको झुकते देखा है
लोग कहते हैं बेवफा पत्थर दिल होते हैं
तेरे जाने के बाद ऐ सनम!
मैंने पत्थर को रोते देखा
 
एक ख्वाब और बुनो ,
इस बार उसपे कोई नई राह चुनो ,
चुनो उसे, जो डगर मगर लुकी हो ,
बरसो से कुछ केहना चाहती हो,
और अरसो से दिल में छुपी हो ,
चलो उनके नन्हें कदमों के सहारे ,
फिर उन लड़खाते पैरो को सम्हालो ,
जब वो चलने लगे ,
तब उन कदमों को उस खुले आसमान में उतारो ,
यार कहानी तुम्हारी हैं ,
इसमें कोई और सवारी थोड़ी हैं ,
तो उतारो और होले होले कुछ आगे चलो ,
चलते चलते गुनगुनाओ और कुछ नई धुन बनाओ ,

उड़ान भरने दो उम्मीदों को ,
गुमनाम शहरो के खोए शोर में ,
ढूंढो खोई लहरों को ,
अपनी खोई मजधार में ,
उतारो कदमों को फलक पर ,
और
जानें दो उस गुलाबी आसमां के परे ,
उसी रंगीन आसमां पर
जहां कभी कई सपने बसाए थे ,
वो आसमां
जहां रोते रोते कई सपने सबसे छुपाए थे ,
किसी उजाले में सिमटे अंधेरों के अंदर ,
तो अब सम्हालो खुद को ,
और बढ़ाओ सपनो की अकीदत को
और पा लो दोबारा खुद में खुद के सपने को :)

कविता उतनी अच्छी तो नहीं है आशा करता हूं आपका समय खराब न किया हो इस बचकानी कविता ने :)
Bahut khud
Likhte raho khote na raho
 
मैंने सपनों को टूटते देखा है
जो मिला नहीं उसे खोते देखा है
लोग कहते हैं फूल सदा मुस्कुराते हैं
मैंने अकेले में फूलों को रोते देखा है
Arey bhai bhai bhai
 
Bahut khud
Likhte raho khote na raho
Khona kon chahta h Chui Muiii , Raahe Milne hi nhi deti aajkl , Meethaiyo Ka thela lga pda h khaate khate kab sham fir kab raat or fir kb neend palko pr aa girti h palke jaan hi nhi pati or fir kho hi jata hu bina chahe khud me bina muje pta chle , esa ho gya h aasman mera bina gardish ke ( ye sb bakloli h or batao kesi beeta zozo ki Drama queen ka samay )
 
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