वो रात...
बातों बातों में जो ढली होगी
वो रात कितनी मनचली होगी !
तेरे सिरहाने याद भी मेरी रात भर
शम्मां-सी जली होगी !
जिससे निकला है आफ़ताब मेरा
वो तेरा घर तेरी गली होगी !
दोस्तों को पता चला होगा
दुश्मनों-सी ही खलबली होगी !
सबने तारीफ़ तेरी की होगी
मैं चुप रहा तो ये कमी होगी !
तेरी आँखो में झाँकने के बाद
लड़खड़ाऊँ तो मयक़शी होगी !
है तेरा ज़िक्र तो यकीं है मुझे
मेरे बारें में बात भी होगी !!
बातों बातों में जो ढली होगी
वो रात कितनी मनचली होगी !
तेरे सिरहाने याद भी मेरी रात भर
शम्मां-सी जली होगी !
जिससे निकला है आफ़ताब मेरा
वो तेरा घर तेरी गली होगी !
दोस्तों को पता चला होगा
दुश्मनों-सी ही खलबली होगी !
सबने तारीफ़ तेरी की होगी
मैं चुप रहा तो ये कमी होगी !
तेरी आँखो में झाँकने के बाद
लड़खड़ाऊँ तो मयक़शी होगी !
है तेरा ज़िक्र तो यकीं है मुझे
मेरे बारें में बात भी होगी !!