वो जो दो धड़कनों के बीच में वक़्त होता है न
खाली सा, शांत सा, जिसमें शून्य रहता है
मगर जिसमें अगली धड़कन की उम्मीद होती है
वो तुम ही तो हो....
पलकें जब झपक कर खुलतीं हैं, तो किसी को ढूंढती हैं
किसी को पाती नहीं तो फिर बंद हो कर फिर खुलतीं हैं
ये जो बंद हो कर खुलने का सिलसिला है न, इसे तलाश कहते हैं
वो तुम ही तो हो...
बारिश को ही देख लो, जहाँ गिरती है भिगा देती हैं
मगर पता है, बारिश कम हो तो उमस भड़क जाती है
उस उमस से जो प्यास जगती है न एक सूखे गले मे
वो तुम ही तो हो...
सड़क को देखा है कभी, हमेशा चलती रहती है
लोग रुकते हैं, कहीं मुड़ने के लिए, किसी और सड़क से जुड़ने के लिए
वो इंतज़ार जो वो सड़क करती है किसी के लौटने का
वो तुम ही तो हो...
हाँ, तुम एक इंतज़ार ही तो हो...
जो हमे हमेशा रहेगा...!!
खाली सा, शांत सा, जिसमें शून्य रहता है
मगर जिसमें अगली धड़कन की उम्मीद होती है
वो तुम ही तो हो....
पलकें जब झपक कर खुलतीं हैं, तो किसी को ढूंढती हैं
किसी को पाती नहीं तो फिर बंद हो कर फिर खुलतीं हैं
ये जो बंद हो कर खुलने का सिलसिला है न, इसे तलाश कहते हैं
वो तुम ही तो हो...
बारिश को ही देख लो, जहाँ गिरती है भिगा देती हैं
मगर पता है, बारिश कम हो तो उमस भड़क जाती है
उस उमस से जो प्यास जगती है न एक सूखे गले मे
वो तुम ही तो हो...
सड़क को देखा है कभी, हमेशा चलती रहती है
लोग रुकते हैं, कहीं मुड़ने के लिए, किसी और सड़क से जुड़ने के लिए
वो इंतज़ार जो वो सड़क करती है किसी के लौटने का
वो तुम ही तो हो...
हाँ, तुम एक इंतज़ार ही तो हो...
जो हमे हमेशा रहेगा...!!