Siddhantrt
Epic Legend
दुःख कितना भी हो,
कोई प्यार से पूछ ले,
“ठीक हो न!”
कम हो ही जाता है एक पल के लिए।
दर्द से दिल भरा हो,
कोई हाथ थाम कर कह दे,
“मैं हूँ यहीं तुम्हारे लिए!”
साँस लौटने लगती है।
ज़ख़्म कितने ही गहरे क्यों न हो,
कोई माथा चूम बाहों में भर ले,
मरहम आत्मा को लग ही जाती है।
सब को सब कुछ मिल ही जाता है,
सिवाय बस उस एक शख़्स के,
जिसके होने से दर्द कम होने लगते हैं,
साँस आने लगती है,
आँसू थमने लगते हैं!
कोई प्यार से पूछ ले,
“ठीक हो न!”
कम हो ही जाता है एक पल के लिए।
दर्द से दिल भरा हो,
कोई हाथ थाम कर कह दे,
“मैं हूँ यहीं तुम्हारे लिए!”
साँस लौटने लगती है।
ज़ख़्म कितने ही गहरे क्यों न हो,
कोई माथा चूम बाहों में भर ले,
मरहम आत्मा को लग ही जाती है।
सब को सब कुछ मिल ही जाता है,
सिवाय बस उस एक शख़्स के,
जिसके होने से दर्द कम होने लगते हैं,
साँस आने लगती है,
आँसू थमने लगते हैं!