Siddhantrt
Epic Legend
वे आये थे साहब !
वे आये थे साहब
दो तीन लोग थे |
बोल रहे थे
मंत्री जी का खाना है ,तुम्हारे घर!
तुम्हे चुना है, हजारो में !
खुशकिस्मत हो तुम |
मैंने कहा बहुत ,
कि मंत्री जी लायक नही है मेरा घर
बिजली नही है ,
पानी नही है !
भात भी सिर्फ चावल उबाल कर खाते हैं !
कभी एक टेम, कभी कभी दो टेम |
मेरा घर उनके काबिल नही साहब !
मैंने कहा बहुत
मगर मेरे कहने का कब मोल था ,मेरे देस में ?
मेरे देस के सफेदपोश के सामने |
वे बोले
सब हो जाएगा |
तुम बस कोने में बैठ जाना
फ़ोटो के बखत |
वे आये साहब,
घर पोत गए |
सब हरा हरा दिखने लगा साहब |
जनरेटर उठा लाये वे,
कूलर ले आये,
खाना भी ले आये |
पत्तल-दोना सब था उनके पास |
पानी भी था, अलग
ठंडा औऱ साफ !
उन्होंने खुद किया सब इन्तजाम ,
मैंने नही छुआ कुछ भी !
ना उन्हें, ना उनका खाना ना उनके बर्तन |
वे मुझसे बतियाये भी नही साहब
बस खाये,
खाते रहे !
मेरे सामने फेंका कुल्ले का पानी
और हाथ धो कर चले गए |
मुझे तो यह भी नही पता साहब,
वे क्यो आये थे ?
तुम ही बता दो साहब ,
वे अपनी भात
मेरे घर बैठकर क्यों खा कर गए ?
वे आये थे साहब
दो तीन लोग थे |
बोल रहे थे
मंत्री जी का खाना है ,तुम्हारे घर!
तुम्हे चुना है, हजारो में !
खुशकिस्मत हो तुम |
मैंने कहा बहुत ,
कि मंत्री जी लायक नही है मेरा घर
बिजली नही है ,
पानी नही है !
भात भी सिर्फ चावल उबाल कर खाते हैं !
कभी एक टेम, कभी कभी दो टेम |
मेरा घर उनके काबिल नही साहब !
मैंने कहा बहुत
मगर मेरे कहने का कब मोल था ,मेरे देस में ?
मेरे देस के सफेदपोश के सामने |
वे बोले
सब हो जाएगा |
तुम बस कोने में बैठ जाना
फ़ोटो के बखत |
वे आये साहब,
घर पोत गए |
सब हरा हरा दिखने लगा साहब |
जनरेटर उठा लाये वे,
कूलर ले आये,
खाना भी ले आये |
पत्तल-दोना सब था उनके पास |
पानी भी था, अलग
ठंडा औऱ साफ !
उन्होंने खुद किया सब इन्तजाम ,
मैंने नही छुआ कुछ भी !
ना उन्हें, ना उनका खाना ना उनके बर्तन |
वे मुझसे बतियाये भी नही साहब
बस खाये,
खाते रहे !
मेरे सामने फेंका कुल्ले का पानी
और हाथ धो कर चले गए |
मुझे तो यह भी नही पता साहब,
वे क्यो आये थे ?
तुम ही बता दो साहब ,
वे अपनी भात
मेरे घर बैठकर क्यों खा कर गए ?