हर किसी में कमी, हर किसी में दोष नज़र आता है,
इंसानियत शायद गलत पैमानों पर आँक रहा हूँ,
हर कोई मुझसे उलट दिशा में जा रहा है,
ज़िन्दगी जैसे रेल की खिड़की से झाँक रहा हूँ..!!
इंसानियत शायद गलत पैमानों पर आँक रहा हूँ,
हर कोई मुझसे उलट दिशा में जा रहा है,
ज़िन्दगी जैसे रेल की खिड़की से झाँक रहा हूँ..!!