कुछ इशारा जो किया हम ने मुलाक़ात के वक़्त
टाल कर कहने लगे दिन है अभी रात के वक़्त
दिन ढल गया और रात गुज़रने की आस में
सूरज नदी में डूब गया, हम गिलास में
मैं ज़िन्दगी में आज पहली बार घर नहीं गया
मगर तमाम रात दिल से माँ का डर नहीं गया
ये कहाँ की रीत है जागे कोई सोए कोई
रात सब की है तो सब को नींद आनी चाहिए
टाल कर कहने लगे दिन है अभी रात के वक़्त
दिन ढल गया और रात गुज़रने की आस में
सूरज नदी में डूब गया, हम गिलास में
मैं ज़िन्दगी में आज पहली बार घर नहीं गया
मगर तमाम रात दिल से माँ का डर नहीं गया
ये कहाँ की रीत है जागे कोई सोए कोई
रात सब की है तो सब को नींद आनी चाहिए