दिनों-दिनों के फेर में 'मोबाइल' हुआ जमाना,
रुकने की फुरसत है किसको बस जीने का है बहाना।
चिट्ठियों का मर्म भूल गए 'मैसेज' बने सहारा,
जीवन का संदेश भीड़ में फिर रहा मारा-मारा।
मोबाइल की 'कॉल' ने कैसा किया कमाल,
दिलों-दिलों के मिलन में आज बनी यह एक ढाल।
ऊँचाइयों की इस होड़ में मोबाइल टावर लहराते,
जीवनादर्शों के उच्च महल को पीछे छोड़ इतराते।
सुरसा के मुँह की भांति बढ़ता मोबाइल का बाजार
परछाइयों को भी पकड़ रहा आज विज्ञान का संसार।
मोबाइल की 'मैमोरी' ने दिया सभी को पछाड़,
'मोटी बुद्धि' मनुआ हुआ आज अति लाचार।
कहे कवि ' युग ' शीघ्रता की धुन में बेशक दौड़ो,
लेकिन जीवन की मंथर गति से कभी न मुँह मोड़ो।
रुकने की फुरसत है किसको बस जीने का है बहाना।
चिट्ठियों का मर्म भूल गए 'मैसेज' बने सहारा,
जीवन का संदेश भीड़ में फिर रहा मारा-मारा।
मोबाइल की 'कॉल' ने कैसा किया कमाल,
दिलों-दिलों के मिलन में आज बनी यह एक ढाल।
ऊँचाइयों की इस होड़ में मोबाइल टावर लहराते,
जीवनादर्शों के उच्च महल को पीछे छोड़ इतराते।
सुरसा के मुँह की भांति बढ़ता मोबाइल का बाजार
परछाइयों को भी पकड़ रहा आज विज्ञान का संसार।
मोबाइल की 'मैमोरी' ने दिया सभी को पछाड़,
'मोटी बुद्धि' मनुआ हुआ आज अति लाचार।
कहे कवि ' युग ' शीघ्रता की धुन में बेशक दौड़ो,
लेकिन जीवन की मंथर गति से कभी न मुँह मोड़ो।