मैं चाहता हूं...
तुम्हें छुपाए रखूं हर मुश्किल और मुसीबत से
मैं निकाल लाऊं तुम्हें उदासी से, बुरे वक्त से.....
मैं चाहता हूं....
तुम्हारी आंख में कभी आंसू न आएं.,
कोई गम तुमको छू न जाए.,
मैं थाम लेना चाहता हूं तुम्हें हर लड़खड़ाते कदम पर....
मैं चाहता हूं....
तुम जी भरकर रो लो.,
निकाल दो सारे गुबार.,
बहा दो अपने अंदर के खारेपन को...
मैं चाहता हूं....
बांट लूं तुम्हारी तन्हाई.,
तुम्हारा खाली-पन.,
अपने दामन में समेट लूं...
लेकिन...
मेरे चाहने भर से क्या होता है...
सुनो ना..
एक बार अपने दिल की सारी बातें कह दो
मुझे भी अपने हद में कर दो
यूं दूर रह के दोनो ही खुश नहीं
चाहो तो मुझे निःशब्द कर दो....
तुम्हें छुपाए रखूं हर मुश्किल और मुसीबत से
मैं निकाल लाऊं तुम्हें उदासी से, बुरे वक्त से.....
मैं चाहता हूं....
तुम्हारी आंख में कभी आंसू न आएं.,
कोई गम तुमको छू न जाए.,
मैं थाम लेना चाहता हूं तुम्हें हर लड़खड़ाते कदम पर....
मैं चाहता हूं....
तुम जी भरकर रो लो.,
निकाल दो सारे गुबार.,
बहा दो अपने अंदर के खारेपन को...
मैं चाहता हूं....
बांट लूं तुम्हारी तन्हाई.,
तुम्हारा खाली-पन.,
अपने दामन में समेट लूं...
लेकिन...
मेरे चाहने भर से क्या होता है...
सुनो ना..
एक बार अपने दिल की सारी बातें कह दो
मुझे भी अपने हद में कर दो
यूं दूर रह के दोनो ही खुश नहीं
चाहो तो मुझे निःशब्द कर दो....