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मन की फांस

JalJala

Epic Legend
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अपने ही मन के भूलभुलैया में,
मनोविज्ञान का जाल हमें कसकर लपेटे हुए है,
भूतकाल की गूंजें अनंत,
कहानी को घुमाते रहते हैं, जो कभी समाप्त नहीं होती।


हम हर पल उलझे रहते हैं,
रात की परछाइयों के पीछे भागते,
पुरानी लड़ाइयों से जूझते, कभी मुक्त न होते,
शांति और सत्य की झलक मुश्किल से मिलती है।

इस निरंतर घुमते चक्र में फंसे,
दर्पण हमें केवल पीछे की छायाएँ दिखाते हैं,
चक्र चलता रहता है, एक अनंत दौड़ की तरह,
शांति एक अदृश्य सपना लगती है।

लेकिन इस अंतहीन घूमने से परे,
वर्तमान क्षण हमें स्वतंत्रता का मौका देता है,
एक शांतिपूर्ण सांस, एक टूटने का अवसर,
अनंत चक्र से मुक्ति पाने के लिए।
 
अपने ही मन के भूलभुलैया में,
मनोविज्ञान का जाल हमें कसकर लपेटे हुए है,
भूतकाल की गूंजें अनंत,
कहानी को घुमाते रहते हैं, जो कभी समाप्त नहीं होती।


हम हर पल उलझे रहते हैं,
रात की परछाइयों के पीछे भागते,
पुरानी लड़ाइयों से जूझते, कभी मुक्त न होते,
शांति और सत्य की झलक मुश्किल से मिलती है।

इस निरंतर घुमते चक्र में फंसे,
दर्पण हमें केवल पीछे की छायाएँ दिखाते हैं,
चक्र चलता रहता है, एक अनंत दौड़ की तरह,
शांति एक अदृश्य सपना लगती है।


लेकिन इस अंतहीन घूमने से परे,
वर्तमान क्षण हमें स्वतंत्रता का मौका देता है,
एक शांतिपूर्ण सांस, एक टूटने का अवसर,
अनंत चक्र से मुक्ति पाने के लिए।
Bahut khub
 
अपने ही मन के भूलभुलैया में,
मनोविज्ञान का जाल हमें कसकर लपेटे हुए है,
भूतकाल की गूंजें अनंत,
कहानी को घुमाते रहते हैं, जो कभी समाप्त नहीं होती।


हम हर पल उलझे रहते हैं,
रात की परछाइयों के पीछे भागते,
पुरानी लड़ाइयों से जूझते, कभी मुक्त न होते,
शांति और सत्य की झलक मुश्किल से मिलती है।

इस निरंतर घुमते चक्र में फंसे,
दर्पण हमें केवल पीछे की छायाएँ दिखाते हैं,
चक्र चलता रहता है, एक अनंत दौड़ की तरह,
शांति एक अदृश्य सपना लगती है।


लेकिन इस अंतहीन घूमने से परे,
वर्तमान क्षण हमें स्वतंत्रता का मौका देता है,
एक शांतिपूर्ण सांस, एक टूटने का अवसर,
अनंत चक्र से मुक्ति पाने के लिए।
मन की फांस ही ऐसी है
जो फंसे तो निकलना मुश्किल
सच मिल गया तो सब हासिल।
 
अपने ही मन के भूलभुलैया में,
मनोविज्ञान का जाल हमें कसकर लपेटे हुए है,
भूतकाल की गूंजें अनंत,
कहानी को घुमाते रहते हैं, जो कभी समाप्त नहीं होती।


हम हर पल उलझे रहते हैं,
रात की परछाइयों के पीछे भागते,
पुरानी लड़ाइयों से जूझते, कभी मुक्त न होते,
शांति और सत्य की झलक मुश्किल से मिलती है।

इस निरंतर घुमते चक्र में फंसे,
दर्पण हमें केवल पीछे की छायाएँ दिखाते हैं,
चक्र चलता रहता है, एक अनंत दौड़ की तरह,
शांति एक अदृश्य सपना लगती है।


लेकिन इस अंतहीन घूमने से परे,
वर्तमान क्षण हमें स्वतंत्रता का मौका देता है,
एक शांतिपूर्ण सांस, एक टूटने का अवसर,
अनंत चक्र से मुक्ति पाने के लिए।
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अपने ही मन के भूलभुलैया में,
मनोविज्ञान का जाल हमें कसकर लपेटे हुए है,
भूतकाल की गूंजें अनंत,
कहानी को घुमाते रहते हैं, जो कभी समाप्त नहीं होती।


हम हर पल उलझे रहते हैं,
रात की परछाइयों के पीछे भागते,
पुरानी लड़ाइयों से जूझते, कभी मुक्त न होते,
शांति और सत्य की झलक मुश्किल से मिलती है।

इस निरंतर घुमते चक्र में फंसे,
दर्पण हमें केवल पीछे की छायाएँ दिखाते हैं,
चक्र चलता रहता है, एक अनंत दौड़ की तरह,
शांति एक अदृश्य सपना लगती है।


लेकिन इस अंतहीन घूमने से परे,
वर्तमान क्षण हमें स्वतंत्रता का मौका देता है,
एक शांतिपूर्ण सांस, एक टूटने का अवसर,
अनंत चक्र से मुक्ति पाने के लिए।
अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी

तू अगर मेरा नहीं बनता न बन अपना तो बन
 
गर्म आँसू और ठंडी आहें मन में क्या क्या मौसम हैं

इस बग़िया के भेद न खोलो सैर करो ख़ामोश रहो
 
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