बहुत आएंगे ज़िन्दगी में मगर कोई तुम जैसा ना आयेगा,
हाथ तो थाम लेगा वो मगर इस दिल को ना छू पायेगा, छू तो लेगा वो जिस्म को मेरे मगर रूह को ना छू पायेगा,
मेरे लफ़्ज़ों को तो समझ लेगा वो मगर शायद मेरी खमोशी ना सह पायेगा, मोहब्बत तो होगी मुझे इस से मगर वो टूट कर चाहना ना हो पायेगा,
कदम तो चलते रहेंगे उसके साथ मगर ये दिल सिर्फ तुम्हारी ही गली आना चाहेगा, बहुत आएंगे ज़िन्दगी में मगर कोई तुम जैसा ना आयेगा।
हाथ तो थाम लेगा वो मगर इस दिल को ना छू पायेगा, छू तो लेगा वो जिस्म को मेरे मगर रूह को ना छू पायेगा,
मेरे लफ़्ज़ों को तो समझ लेगा वो मगर शायद मेरी खमोशी ना सह पायेगा, मोहब्बत तो होगी मुझे इस से मगर वो टूट कर चाहना ना हो पायेगा,
कदम तो चलते रहेंगे उसके साथ मगर ये दिल सिर्फ तुम्हारी ही गली आना चाहेगा, बहुत आएंगे ज़िन्दगी में मगर कोई तुम जैसा ना आयेगा।