प्रेम से बढ़कर ना कोई शास्त्र था,
ना है, ना रहेगा...
बस हम लोगों ने पढा ही गलत तरीके से है,
समझा भी गलत नियत से है...
और देखा भी ग़लत भावना से है...
इसलिए आज प्रेम को इतनी गलत नज़र से
देखा जाता है...
मेरे लिए भगवान के बाद इस दुनिया में
कोई पवित्र चीज़ है
तो वो हो तुम, वो है प्रेम...
मुझे कण_कण से तुम्हारी की खुश्बु आती है...
जिधर देखूं उधर जर्रे_जर्रे में प्रेम नजर आता है...
जब भी धड़कनें स्पंदन करती है
तुम कस्तुरी बन मन को महकाती हो...
ना कोई छल, ना कोई प्रपंच, ना कोई स्वार्थ
नि:स्वार्थ प्रेम करके देखो
रोम_रोम में निखार आता है...!!!
ना है, ना रहेगा...
बस हम लोगों ने पढा ही गलत तरीके से है,
समझा भी गलत नियत से है...
और देखा भी ग़लत भावना से है...
इसलिए आज प्रेम को इतनी गलत नज़र से
देखा जाता है...
मेरे लिए भगवान के बाद इस दुनिया में
कोई पवित्र चीज़ है
तो वो हो तुम, वो है प्रेम...
मुझे कण_कण से तुम्हारी की खुश्बु आती है...
जिधर देखूं उधर जर्रे_जर्रे में प्रेम नजर आता है...
जब भी धड़कनें स्पंदन करती है
तुम कस्तुरी बन मन को महकाती हो...
ना कोई छल, ना कोई प्रपंच, ना कोई स्वार्थ
नि:स्वार्थ प्रेम करके देखो
रोम_रोम में निखार आता है...!!!
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