कैसे बतलाऊं कैसा है ये प्यार
सर्द सुबह में धुंध से लिपटी
फिजाओं सा है प्यार
अर्ध रातों में शर्म से सिमटी
अदाओं सा है प्यार
कैसे बतलाऊं कैसा है ये प्यार ।
मीरा सा पागल, अधूरी राधा के
इन्तजार सा है प्यार
गंगा सा निर्मल, पूरी गीता के
हर सार सा है प्यार
कैसे बतलाऊ कैसा है ये प्यार ।
हीर की हर मंजिल में रान्झे की
राह सा है प्यार
मजनू के हर घाव में लैला की
आह सा है प्यार
कैसे बतलाऊं कैसा है ये प्यार ।
सबरी के चखे उन मीठे जूठे बेरों
सा है प्यार
अहिल्या ने चूमे राम के पावन पैरों
सा है प्यार
कैसे बतलाऊं कैसा है ये प्यार ।
इतना सच्चा, इतना पवित्र कैसे
है ये प्यार
तो बस तू मुझमें, मैं तुझमें ऐसे
है ये प्यार
कैसे बतलाऊं कैसा है ये प्यार ।।
सर्द सुबह में धुंध से लिपटी
फिजाओं सा है प्यार
अर्ध रातों में शर्म से सिमटी
अदाओं सा है प्यार
कैसे बतलाऊं कैसा है ये प्यार ।
मीरा सा पागल, अधूरी राधा के
इन्तजार सा है प्यार
गंगा सा निर्मल, पूरी गीता के
हर सार सा है प्यार
कैसे बतलाऊ कैसा है ये प्यार ।
हीर की हर मंजिल में रान्झे की
राह सा है प्यार
मजनू के हर घाव में लैला की
आह सा है प्यार
कैसे बतलाऊं कैसा है ये प्यार ।
सबरी के चखे उन मीठे जूठे बेरों
सा है प्यार
अहिल्या ने चूमे राम के पावन पैरों
सा है प्यार
कैसे बतलाऊं कैसा है ये प्यार ।
इतना सच्चा, इतना पवित्र कैसे
है ये प्यार
तो बस तू मुझमें, मैं तुझमें ऐसे
है ये प्यार
कैसे बतलाऊं कैसा है ये प्यार ।।