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पर क्यों! अब ओर सहना हैं.

Somaiya Karn

Quodophile of ZoZo
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पर क्यों! अब ओर सहना हैं

अल्फाज़ मैं ख्वाहिश का बयान ना हो रहा था, यह दूरी-ए-मोहब्बत अब ओर हमसे साहा नहीं जा रहा था, उसके दिए हर एक चीजों को संभाल के रखा है मैंने, पर क्यों! इन चीज़ों से लगाव अब छूट नहीं रहा था।

इश्क के बाज़ार मैं अब जज्बातों का मुईना हो रहा था, हर एक लफ्जों मैं अब ईश्क-ए-सबूत मुझसे मांगा जा रहा था, अब हाथ छुटा तो हर कोई खुश हो रहा है, पर क्यों! इन फसलों मैं यह प्यार बढ़े ही जा रहा था।

आंखो मैं नामी और बिखरे हुए हम अब खास लग रहा था, नई चुनौतियों मैं प्यार सच्च के कगार में खड़ा हो रहा था, अब इस ज़ख्म को हमने ऐसे ही छोड़ना ठिक समझा, पर क्यों! यह दिल अब भी समझदारी नहीं दिखा रहा था।

माना यार नहीं हम पर यह दोस्ती भी संभाला नहीं जा रहा था, फिर से वो जज़्बात पैदा ना हो यह डर हमें सता रहा था, ईश्क किया है तभी तो यह सब सहना पड़ रहा है, पर क्यों! एक तरफ़ प्यार अब हमें खोखला कर रहा था।images (14).jpeg
 
पर क्यों! अब ओर सहना हैं

अल्फाज़ मैं ख्वाहिश का बयान ना हो रहा था, यह दूरी-ए-मोहब्बत अब ओर हमसे साहा नहीं जा रहा था, उसके दिए हर एक चीजों को संभाल के रखा है मैंने, पर क्यों! इन चीज़ों से लगाव अब छूट नहीं रहा था।

इश्क के बाज़ार मैं अब जज्बातों का मुईना हो रहा था, हर एक लफ्जों मैं अब ईश्क-ए-सबूत मुझसे मांगा जा रहा था, अब हाथ छुटा तो हर कोई खुश हो रहा है, पर क्यों! इन फसलों मैं यह प्यार बढ़े ही जा रहा था।

आंखो मैं नामी और बिखरे हुए हम अब खास लग रहा था, नई चुनौतियों मैं प्यार सच्च के कगार में खड़ा हो रहा था, अब इस ज़ख्म को हमने ऐसे ही छोड़ना ठिक समझा, पर क्यों! यह दिल अब भी समझदारी नहीं दिखा रहा था।

माना यार नहीं हम पर यह दोस्ती भी संभाला नहीं जा रहा था, फिर से वो जज़्बात पैदा ना हो यह डर हमें सता रहा था, ईश्क किया है तभी तो यह सब सहना पड़ रहा है, पर क्यों! एक तरफ़ प्यार अब हमें खोखला कर रहा था।View attachment 265113
तुम आज भी हो इंतजार में आंखो का पानी कहता है
इश्क क्या खूबसूरत बला ये कहानी कहता है
जिसने देखे नही अश्क वो क्या इश्क देखेगा
खुद है वो जाहिल जो तुझे दीवानी कहता है
तुम आज भी हो.....

बे इंतहा मोहब्बत का यही अंजाम है शायद
तेरे मुस्कराने का वाजिब यही इनाम है शायद
तू परेशान होती थी जिसे परेशान देखकर
वही दीवाना तेरा तुझे परेशानी कहता है
तुम आज भी हो इंतजार मे आंखो का पानी कहता है।

तेरे मासूम चेहरे को नजर लगाने वाले
खुद रोएंगे हंमदम तुझे ये रुलाने वाले
खुदा खुद हाफिज है तेरा तू क्यों परवाह करती है
तू मुझको देख जो आंसुओ को इश्क की निशानी कहता है

तुम आज भी हो इंतजार मे तेरी आंखों का पानी कहता है।
 
पर क्यों! अब ओर सहना हैं

अल्फाज़ मैं ख्वाहिश का बयान ना हो रहा था, यह दूरी-ए-मोहब्बत अब ओर हमसे साहा नहीं जा रहा था, उसके दिए हर एक चीजों को संभाल के रखा है मैंने, पर क्यों! इन चीज़ों से लगाव अब छूट नहीं रहा था।

इश्क के बाज़ार मैं अब जज्बातों का मुईना हो रहा था, हर एक लफ्जों मैं अब ईश्क-ए-सबूत मुझसे मांगा जा रहा था, अब हाथ छुटा तो हर कोई खुश हो रहा है, पर क्यों! इन फसलों मैं यह प्यार बढ़े ही जा रहा था।

आंखो मैं नामी और बिखरे हुए हम अब खास लग रहा था, नई चुनौतियों मैं प्यार सच्च के कगार में खड़ा हो रहा था, अब इस ज़ख्म को हमने ऐसे ही छोड़ना ठिक समझा, पर क्यों! यह दिल अब भी समझदारी नहीं दिखा रहा था।

माना यार नहीं हम पर यह दोस्ती भी संभाला नहीं जा रहा था, फिर से वो जज़्बात पैदा ना हो यह डर हमें सता रहा था, ईश्क किया है तभी तो यह सब सहना पड़ रहा है, पर क्यों! एक तरफ़ प्यार अब हमें खोखला कर रहा था।View attachment 265113
Bahut pyara mere jaisa :angel:
 
पर क्यों! अब ओर सहना हैं

अल्फाज़ मैं ख्वाहिश का बयान ना हो रहा था, यह दूरी-ए-मोहब्बत अब ओर हमसे साहा नहीं जा रहा था, उसके दिए हर एक चीजों को संभाल के रखा है मैंने, पर क्यों! इन चीज़ों से लगाव अब छूट नहीं रहा था।

इश्क के बाज़ार मैं अब जज्बातों का मुईना हो रहा था, हर एक लफ्जों मैं अब ईश्क-ए-सबूत मुझसे मांगा जा रहा था, अब हाथ छुटा तो हर कोई खुश हो रहा है, पर क्यों! इन फसलों मैं यह प्यार बढ़े ही जा रहा था।

आंखो मैं नामी और बिखरे हुए हम अब खास लग रहा था, नई चुनौतियों मैं प्यार सच्च के कगार में खड़ा हो रहा था, अब इस ज़ख्म को हमने ऐसे ही छोड़ना ठिक समझा, पर क्यों! यह दिल अब भी समझदारी नहीं दिखा रहा था।

माना यार नहीं हम पर यह दोस्ती भी संभाला नहीं जा रहा था, फिर से वो जज़्बात पैदा ना हो यह डर हमें सता रहा था, ईश्क किया है तभी तो यह सब सहना पड़ रहा है, पर क्यों! एक तरफ़ प्यार अब हमें खोखला कर रहा था।View attachment 265113
Awesome :heart1:
 
पर क्यों! अब ओर सहना हैं

अल्फाज़ मैं ख्वाहिश का बयान ना हो रहा था, यह दूरी-ए-मोहब्बत अब ओर हमसे साहा नहीं जा रहा था, उसके दिए हर एक चीजों को संभाल के रखा है मैंने, पर क्यों! इन चीज़ों से लगाव अब छूट नहीं रहा था।

इश्क के बाज़ार मैं अब जज्बातों का मुईना हो रहा था, हर एक लफ्जों मैं अब ईश्क-ए-सबूत मुझसे मांगा जा रहा था, अब हाथ छुटा तो हर कोई खुश हो रहा है, पर क्यों! इन फसलों मैं यह प्यार बढ़े ही जा रहा था।

आंखो मैं नामी और बिखरे हुए हम अब खास लग रहा था, नई चुनौतियों मैं प्यार सच्च के कगार में खड़ा हो रहा था, अब इस ज़ख्म को हमने ऐसे ही छोड़ना ठिक समझा, पर क्यों! यह दिल अब भी समझदारी नहीं दिखा रहा था।

माना यार नहीं हम पर यह दोस्ती भी संभाला नहीं जा रहा था, फिर से वो जज़्बात पैदा ना हो यह डर हमें सता रहा था, ईश्क किया है तभी तो यह सब सहना पड़ रहा है, पर क्यों! एक तरफ़ प्यार अब हमें खोखला कर रहा था।View attachment 265113
EK TERAHI KHWAB HAI WARNA AKELE ME KOUN MUSKURATA HAIIMG_20240927_204438.jpg
 
पर क्यों! अब ओर सहना हैं

अल्फाज़ मैं ख्वाहिश का बयान ना हो रहा था, यह दूरी-ए-मोहब्बत अब ओर हमसे साहा नहीं जा रहा था, उसके दिए हर एक चीजों को संभाल के रखा है मैंने, पर क्यों! इन चीज़ों से लगाव अब छूट नहीं रहा था।

इश्क के बाज़ार मैं अब जज्बातों का मुईना हो रहा था, हर एक लफ्जों मैं अब ईश्क-ए-सबूत मुझसे मांगा जा रहा था, अब हाथ छुटा तो हर कोई खुश हो रहा है, पर क्यों! इन फसलों मैं यह प्यार बढ़े ही जा रहा था।

आंखो मैं नामी और बिखरे हुए हम अब खास लग रहा था, नई चुनौतियों मैं प्यार सच्च के कगार में खड़ा हो रहा था, अब इस ज़ख्म को हमने ऐसे ही छोड़ना ठिक समझा, पर क्यों! यह दिल अब भी समझदारी नहीं दिखा रहा था।

माना यार नहीं हम पर यह दोस्ती भी संभाला नहीं जा रहा था, फिर से वो जज़्बात पैदा ना हो यह डर हमें सता रहा था, ईश्क किया है तभी तो यह सब सहना पड़ रहा है, पर क्यों! एक तरफ़ प्यार अब हमें खोखला कर रहा था।View attachment 265113
Lovely somi :blessing:
 
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