यूँ बात बात पर कुछ न कुछ proove कर थक गया हूँ,
कभी Marksheets में किया,
तो कभी Interviews में,
हर किसी की Expectations पर खरा उतर के,
रात बारह बजे Birthdays की wish में,
किसी ख़ास के लिए खरीदे Greeting Cards में,
कभी Sorry कभी Thanks में,
साली Life ना हुई क़ानून हो गयी,
बात बात पर Proof मांगते हैं लोग...!
ये Mathematicians और Scientists क्यूँ नहीं कोई Theorem या Formula बनाते हैं इसके लिए,
ताकि किसी को Proove न करना पड़े कि,
क्या मेरा है क्या उसका,
मैं बेहतर या दूसरा,
गलत मैं नहीं वो,
हर शख्स की Values उस Theorem या Formula में रख आसानी से दुनिया Proove कर सके जो भी उसके हिसाब का है...!
वरना मेरी कोशिशों का तो Final Conclusion ही यही रहता है कि,
दुनिया अच्छी है, मैं बुरा....!!!
कभी Marksheets में किया,
तो कभी Interviews में,
हर किसी की Expectations पर खरा उतर के,
रात बारह बजे Birthdays की wish में,
किसी ख़ास के लिए खरीदे Greeting Cards में,
कभी Sorry कभी Thanks में,
साली Life ना हुई क़ानून हो गयी,
बात बात पर Proof मांगते हैं लोग...!
ये Mathematicians और Scientists क्यूँ नहीं कोई Theorem या Formula बनाते हैं इसके लिए,
ताकि किसी को Proove न करना पड़े कि,
क्या मेरा है क्या उसका,
मैं बेहतर या दूसरा,
गलत मैं नहीं वो,
हर शख्स की Values उस Theorem या Formula में रख आसानी से दुनिया Proove कर सके जो भी उसके हिसाब का है...!
वरना मेरी कोशिशों का तो Final Conclusion ही यही रहता है कि,
दुनिया अच्छी है, मैं बुरा....!!!