जब उकता जाओ
चमकीली दुनिया की दिखावट से
उजले चेहरों की झूठी मुस्कुराहट से
हर सवाल पर झूठ मूठ
बताये गये अच्छे हाल से
इर्द गिर्द बुने हुए
मतलब के जाल से ।
कथनी-करनी के अंतर से
चापलूसी के मंतर से
फिज़ूल की दौड़ से
आपस की होड़ से ।
नफ़रत के चलन से
लोगों की जलन से
रिश्तों के वार से
वक़्त की मार से ।
तब हमारे पास आना
हम वो सरफिरे हैं
जो दूसरों का दर्द
अपने दिल में सजाते हैं
जो नफ़रत के दौर में भी
मुहब्बत का गीत गाते हैं ।
जो उसूलों पे आँच आने नहीं देते
जो मायूसी का बादल छाने नहीं देते
जो सादगी का चलन बनाये हुए हैं
जो ज़मीन पर क़दम जमाये हुए हैं ।
पीड़ा के बदले जो मुस्कान देते हैं
दूसरों की भावनाओं को जो मान देते हैं
आना हमारे पास
हम यहीं मिलेंगे
एक उजली भोर थामे हुए
इंसानियत की डोर थामे हुए ।
तुम उस वक्त मत आना
जब मेरा मन भर जाए
तुम्हारा आना बेअसर हो जाए
तुम्हारे आने न आने का वजूद ही ख़त्म हो जाए,
पर हो सके तो
तुम आना उस वक्त
जब तुम्हारे आने भर से
मैं जश्न मना सकूं
मैं अपने सारे दुखों को भूलकर झूम उठूं।
जैसे
किसी भक्त को भगवान मिलने पर
भूल जाता है अपनी युगों की पीड़ा
तुम आना समय की उस सीमा से पहले कि
मुझे मेरी प्रतीक्षा यथार्थ लगे ।।
चमकीली दुनिया की दिखावट से
उजले चेहरों की झूठी मुस्कुराहट से
हर सवाल पर झूठ मूठ
बताये गये अच्छे हाल से
इर्द गिर्द बुने हुए
मतलब के जाल से ।
कथनी-करनी के अंतर से
चापलूसी के मंतर से
फिज़ूल की दौड़ से
आपस की होड़ से ।
नफ़रत के चलन से
लोगों की जलन से
रिश्तों के वार से
वक़्त की मार से ।
तब हमारे पास आना
हम वो सरफिरे हैं
जो दूसरों का दर्द
अपने दिल में सजाते हैं
जो नफ़रत के दौर में भी
मुहब्बत का गीत गाते हैं ।
जो उसूलों पे आँच आने नहीं देते
जो मायूसी का बादल छाने नहीं देते
जो सादगी का चलन बनाये हुए हैं
जो ज़मीन पर क़दम जमाये हुए हैं ।
पीड़ा के बदले जो मुस्कान देते हैं
दूसरों की भावनाओं को जो मान देते हैं
आना हमारे पास
हम यहीं मिलेंगे
एक उजली भोर थामे हुए
इंसानियत की डोर थामे हुए ।
तुम उस वक्त मत आना
जब मेरा मन भर जाए
तुम्हारा आना बेअसर हो जाए
तुम्हारे आने न आने का वजूद ही ख़त्म हो जाए,
पर हो सके तो
तुम आना उस वक्त
जब तुम्हारे आने भर से
मैं जश्न मना सकूं
मैं अपने सारे दुखों को भूलकर झूम उठूं।
जैसे
किसी भक्त को भगवान मिलने पर
भूल जाता है अपनी युगों की पीड़ा
तुम आना समय की उस सीमा से पहले कि
मुझे मेरी प्रतीक्षा यथार्थ लगे ।।