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तेरे इश्क में

Siddhantrt

Epic Legend
ये तुम हो
जिसके लिए
मैं आज लिख रहा हूँ,
क्योंकि बेचैनी
बहुत ज्यादा है,
ये बेचैनी किसी
उत्तेजना की नहीं है,
कुछ खास नहीं
बस तुमसे
इश्क़ हो गया,
यही बहुत है
मेरे लिए
बेचैन होने को,
फासले दिल ने नहीं
वक़्त ने
पैदा किए हैं
काश
मैं समय को
किसी तरह
बदल सकता,

तुम्हारी एक आकृति
मेरे जेहन में
बस गई है,
ऐसा कुछ भी नहीं
कि मैं
तुम्हारी आकृति को
मिटा सकूँ,

तुम पाने की
चाह रखते हो
जबकि मैं
तुम्हारे दिल में
बस जाना चाहता हूँ,
तुम मेरी जिंदगी में
शामिल हो चुके हो,
मैं हर लम्हा
तुम्हारे साथ
बात करना चाहता हूँ,
तुम्हारे सामने
रहना चाहता हूँ,
बड़ा रूहानी है मेरा इश्क़,
ना जाने
तुम्हारे मन में
मेरे लिए
क्या चलता है?
क्या कुछ चलता है?

पता है
कुछ भी
ठिकाने पे नहीं है,
मेरी किताबें,
मेरी डायरी
और उसमें छपे
शब्दों में तुम,
सब बिखरा हुआ है,
इन दिनो
मैं ही
ठिकाने पे नहीं हूँ,

तुमको छोड़ के आना
ऐसा लगा
कि मैं तो आ गया
पर मेरी छाया
तुम्हारे ही पास
रह गई,
तुम भी सोचते होगे कि
बिन छाया के
मैं कैसे चला गया?
बड़े ही
बुद्धिजीवी जो हो ना?

खैर....
एक बात और
आज-कल
रात रात नहीं लगती
और सुबह का रंग भी
कुछ बदला सा नजर आता है,
सच बात तो ये है
कि सब कुछ
गुलाबी हो गया है
तेरे इश्क में....!!
 
ये तुम हो
जिसके लिए
मैं आज लिख रहा हूँ,
क्योंकि बेचैनी
बहुत ज्यादा है,
ये बेचैनी किसी
उत्तेजना की नहीं है,
कुछ खास नहीं
बस तुमसे
इश्क़ हो गया,
यही बहुत है
मेरे लिए
बेचैन होने को,
फासले दिल ने नहीं
वक़्त ने
पैदा किए हैं
काश
मैं समय को
किसी तरह
बदल सकता,

तुम्हारी एक आकृति
मेरे जेहन में
बस गई है,
ऐसा कुछ भी नहीं
कि मैं
तुम्हारी आकृति को
मिटा सकूँ,

तुम पाने की
चाह रखते हो
जबकि मैं
तुम्हारे दिल में
बस जाना चाहता हूँ,
तुम मेरी जिंदगी में
शामिल हो चुके हो,
मैं हर लम्हा
तुम्हारे साथ
बात करना चाहता हूँ,
तुम्हारे सामने
रहना चाहता हूँ,
बड़ा रूहानी है मेरा इश्क़,
ना जाने
तुम्हारे मन में
मेरे लिए
क्या चलता है?
क्या कुछ चलता है?

पता है
कुछ भी
ठिकाने पे नहीं है,
मेरी किताबें,
मेरी डायरी
और उसमें छपे
शब्दों में तुम,
सब बिखरा हुआ है,
इन दिनो
मैं ही
ठिकाने पे नहीं हूँ,

तुमको छोड़ के आना
ऐसा लगा
कि मैं तो आ गया
पर मेरी छाया
तुम्हारे ही पास
रह गई,
तुम भी सोचते होगे कि
बिन छाया के
मैं कैसे चला गया?
बड़े ही
बुद्धिजीवी जो हो ना?

खैर....
एक बात और
आज-कल
रात रात नहीं लगती
और सुबह का रंग भी
कुछ बदला सा नजर आता है,
सच बात तो ये है
कि सब कुछ
गुलाबी हो गया है
तेरे इश्क में....!!
 
ये तुम हो
जिसके लिए
मैं आज लिख रहा हूँ,
क्योंकि बेचैनी
बहुत ज्यादा है,
ये बेचैनी किसी
उत्तेजना की नहीं है,
कुछ खास नहीं
बस तुमसे
इश्क़ हो गया,
यही बहुत है
मेरे लिए
बेचैन होने को,
फासले दिल ने नहीं
वक़्त ने
पैदा किए हैं
काश
मैं समय को
किसी तरह
बदल सकता,

तुम्हारी एक आकृति
मेरे जेहन में
बस गई है,
ऐसा कुछ भी नहीं
कि मैं
तुम्हारी आकृति को
मिटा सकूँ,

तुम पाने की
चाह रखते हो
जबकि मैं
तुम्हारे दिल में
बस जाना चाहता हूँ,
तुम मेरी जिंदगी में
शामिल हो चुके हो,
मैं हर लम्हा
तुम्हारे साथ
बात करना चाहता हूँ,
तुम्हारे सामने
रहना चाहता हूँ,
बड़ा रूहानी है मेरा इश्क़,
ना जाने
तुम्हारे मन में
मेरे लिए
क्या चलता है?
क्या कुछ चलता है?

पता है
कुछ भी
ठिकाने पे नहीं है,
मेरी किताबें,
मेरी डायरी
और उसमें छपे
शब्दों में तुम,
सब बिखरा हुआ है,
इन दिनो
मैं ही
ठिकाने पे नहीं हूँ,

तुमको छोड़ के आना
ऐसा लगा
कि मैं तो आ गया
पर मेरी छाया
तुम्हारे ही पास
रह गई,
तुम भी सोचते होगे कि
बिन छाया के
मैं कैसे चला गया?
बड़े ही
बुद्धिजीवी जो हो ना?

खैर....
एक बात और
आज-कल
रात रात नहीं लगती
और सुबह का रंग भी
कुछ बदला सा नजर आता है,
सच बात तो ये है
कि सब कुछ
गुलाबी हो गया है
तेरे इश्क में....!!
:blessing:nice
 
चाहे कितनी भी
तकलीफ दे इश्क़,
पर सुकून भी
इश्क़ से ही मिलता है
 
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