

मांगता हूं तो देती नही
जवाब मेरे बात का
और देती है तो खड़ा हो जाता है
रोम रोम जज़्बात का
मुंह में लेना तुम्हे पसंद नहीं
एक भी कतरा शराब का
फिर क्यों बोलती हो धीरे से डालो
बालो में फूल गुलाब का
वो सोती रही मैं करता रहा...
इंतेजार उसका जवाब का
अभी उसके हाथ में रक्खा ही था कि उसने पकड़ लिया
गुलदस्ता गुलाब का
उसने कहा पीछे से नहीं आगे से करो
गुणगान मेरे हुस्न का
वो बोली बड़ा ही मज़ा आता है जब अंदर जाता है
कानों में एक एक लब्स प्यार का~~

