दो दिल के कुछ पाने के साझे दार हे हमआधा चांद, आधा इश्क़,
आधी सी है बंदगी,
तुम मेरी हो और मेरी हो कर भी
मेरी नहीं उफ्फ कैसे है ये जिंदगी....!!
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Ehi me t akhandwa baZindagi jhand na pher bhi ghamand ba
दो दिल के कुछ पाने के साझे दार हे हम
सके तों चुकाएंगे न सके तों सर झुकाएंगे
क्यू की आप की यादो की कर्जदार हैँ हम
जो मिला उनसे मिला हैँदो दिल मिले एक हुए
न तेरा कुछ, न मेरा है
जब सब कुछ हमारा है
तो कोई कर्जदार कैसे!!!
जो मिला उनसे मिला हैँ
कभी आँखो मे आंसु तों
कभी होठो पे मुश्कान खिला है
यादो की कुछ पलकी कितलब रखा हैँ
उन कितलब की हर पन्नों पर इन्साफ रखा हैँ