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जिंदगी जीना न आया

Yug Purush

Epic Legend
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Chat Pro User
जिंदगी तुझे हासिल ना कर सके हम
तू गुजरती गयी और तुझे जी ना सके हम

खोकर खुद को उसकी तलाश में रहा
खुद से भी गए उसे भी ना पा सके हम

ख्वाबों का कोई वुजूद कभी रहा ही नहीं
ये हक़ीक़त खुली तो फिर ना सो सके हम

माँ पूछती रही सबब मेरे उतरे चेहरे का
क्या कहता, बस कुछ ना कह सके हम

भटकता रहा उम्र भर ना-हासिल के लिए
जो हासिल था उसे भी ना बचा सके हम

खर्च किया वक्त को फिजूल के कामों में
खुद के लिए एक पल भी ना रख सके हम

खुद तो खड़े ही रहे धूप में हमेशा
औरों के लिए एक दरख्त भी ना लगा सके हम

मरने से मेरे दुश्मन भी ख़फ़ा हैं
ना ढंग से जिए ना ढंग से मर सके हम।।
 
जिंदगी तुझे हासिल ना कर सके हम
तू गुजरती गयी और तुझे जी ना सके हम

खोकर खुद को उसकी तलाश में रहा
खुद से भी गए उसे भी ना पा सके हम

ख्वाबों का कोई वुजूद कभी रहा ही नहीं
ये हक़ीक़त खुली तो फिर ना सो सके हम

माँ पूछती रही सबब मेरे उतरे चेहरे का
क्या कहता, बस कुछ ना कह सके हम

भटकता रहा उम्र भर ना-हासिल के लिए
जो हासिल था उसे भी ना बचा सके हम

खर्च किया वक्त को फिजूल के कामों में
खुद के लिए एक पल भी ना रख सके हम

खुद तो खड़े ही रहे धूप में हमेशा
औरों के लिए एक दरख्त भी ना लगा सके हम

मरने से मेरे दुश्मन भी ख़फ़ा हैं
ना ढंग से जिए ना ढंग से मर सके हम।।
तुम चाहकर भी
उस रौशनी से नहीं भाग सकते
जो तुम्हारे भीतर फूटने को आतुर है।

देखना
कोई तिनका बाकी न रहे
सलीके से बुहारना अपनी आत्मा को
ईश्वर यहीं विराजेंगे और
सुनेंगे तुम्हारी प्रार्थना।
 
जिंदगी तुझे हासिल ना कर सके हम
तू गुजरती गयी और तुझे जी ना सके हम

खोकर खुद को उसकी तलाश में रहा
खुद से भी गए उसे भी ना पा सके हम

ख्वाबों का कोई वुजूद कभी रहा ही नहीं
ये हक़ीक़त खुली तो फिर ना सो सके हम

माँ पूछती रही सबब मेरे उतरे चेहरे का
क्या कहता, बस कुछ ना कह सके हम

भटकता रहा उम्र भर ना-हासिल के लिए
जो हासिल था उसे भी ना बचा सके हम

खर्च किया वक्त को फिजूल के कामों में
खुद के लिए एक पल भी ना रख सके हम

खुद तो खड़े ही रहे धूप में हमेशा
औरों के लिए एक दरख्त भी ना लगा सके हम

मरने से मेरे दुश्मन भी ख़फ़ा हैं
ना ढंग से जिए ना ढंग से मर सके हम।।
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जिंदगी तुझे हासिल ना कर सके हम
तू गुजरती गयी और तुझे जी ना सके हम

खोकर खुद को उसकी तलाश में रहा
खुद से भी गए उसे भी ना पा सके हम

ख्वाबों का कोई वुजूद कभी रहा ही नहीं
ये हक़ीक़त खुली तो फिर ना सो सके हम

माँ पूछती रही सबब मेरे उतरे चेहरे का
क्या कहता, बस कुछ ना कह सके हम

भटकता रहा उम्र भर ना-हासिल के लिए
जो हासिल था उसे भी ना बचा सके हम

खर्च किया वक्त को फिजूल के कामों में
खुद के लिए एक पल भी ना रख सके हम

खुद तो खड़े ही रहे धूप में हमेशा
औरों के लिए एक दरख्त भी ना लगा सके हम

मरने से मेरे दुश्मन भी ख़फ़ा हैं
ना ढंग से जिए ना ढंग से मर सके हम।।
हम तुम मिले न थे तो जुदाई का था मलाल
अब ये मलाल है कि तमन्ना निकल गई
 
तुम चाहकर भी
उस रौशनी से नहीं भाग सकते
जो तुम्हारे भीतर फूटने को आतुर है।

देखना
कोई तिनका बाकी न रहे
सलीके से बुहारना अपनी आत्मा को
ईश्वर यहीं विराजेंगे और
सुनेंगे तुम्हारी प्रार्थना।
फिक्र है सबको खुद को सही साबित करने की,
जैसे ये ज़िंदगी, ज़िंदगी नहीं, कोई इल्जाम है
आपके दिल की इतनी गहरी बात सभी को,
कभी समझ तो जरूर आएगी।
 
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