ज़िन्दगी……
पलट कर पीछे भी तो नहीं देखती
घूम कर अगले चौराहे से
वापस भी तो नहीं आती,
फैसले ले लेती है
सफाई नहीं देती
सवाल नहीं पूछती
जवाब नहीं मांगती
नज़रें मिलाकर
कुछ छीनती नहीं है
नज़रें झुका कर
माफ़ी नहीं मांगती,
मुआफियां दुहराने से
ज़ख्म भी तो नहीं भरते
घड़ी कि सुइयां जब
चुनौती दे रही हों
हाथों से रेत का फिसलना जारी हो
नफरतों को काबू में किया जाए
बुनियाद ख़त्म हो जाने के बाद
इमारतें बचा भी तो नहीं करती,
बड़ी अकड़ है इसमें
ज़िन्दगी न हुई
'ज़िन्दगी' हो गयी
दौड़ती जाती है,
पलट कर
पीछे भी तो नहीं देखती
ज़िन्दगी....…!!
पलट कर पीछे भी तो नहीं देखती
घूम कर अगले चौराहे से
वापस भी तो नहीं आती,
फैसले ले लेती है
सफाई नहीं देती
सवाल नहीं पूछती
जवाब नहीं मांगती
नज़रें मिलाकर
कुछ छीनती नहीं है
नज़रें झुका कर
माफ़ी नहीं मांगती,
मुआफियां दुहराने से
ज़ख्म भी तो नहीं भरते
घड़ी कि सुइयां जब
चुनौती दे रही हों
हाथों से रेत का फिसलना जारी हो
नफरतों को काबू में किया जाए
बुनियाद ख़त्म हो जाने के बाद
इमारतें बचा भी तो नहीं करती,
बड़ी अकड़ है इसमें
ज़िन्दगी न हुई
'ज़िन्दगी' हो गयी
दौड़ती जाती है,
पलट कर
पीछे भी तो नहीं देखती
ज़िन्दगी....…!!