गब्बर सिंह का चरित्र चित्रणः
1. सादगी: उसके जीने का ढंग बड़ा सरल था। पुराने और मैले कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन। जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो-आराम के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं। और विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने 'जो डर गया, सो मर गया' जैसे संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था।
2.दयालु प्रवृत्ति: ठाकुर ने उसे अपने हाथों से पकड़ा था। इसलिए उसने ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी। अगर चाहता तो गर्दन भी काट सकता था।
3. नृत्य-संगीत का शौकीन: 'महबूबा ओये महबूबा' गीत के समय उसके कलाकार ह्रदय का परिचय मिलता है। अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्रदय शुष्क नहीं था। वह जीवन में नृत्य-संगीत एवं कला के महत्त्व को समझता था।
4. अनुशासनप्रियनायक: जब कालिया और उसके दोस्त अपने प्रोजेक्ट से नाकाम होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती। अनुशासन के प्रति अपने अगाध समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी।
5. हास्य-रस का प्रेमी: उसमें गज़ब का सेन्स
ऑफ ह्यूमर था। कालिया और उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसाया था। ताकि वो हंसते हंसते दुनिया को अलविदा कह सकें। 'लाफिंग बुद्धा' था।
6. नारी के प्रति सम्मान: बसन्ती जैसी सुन्दर नारी का अपहरण कर सिर्फ एक नृत्य का निवेदन किया। वर्तमान का खलनायक होता तो शायद कुछ और करता।
7. भिक्षुक जीवन: उसने हिन्दू धर्म और महात्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था। रामपुर और अन्य गाँवों से उसे जो भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर करता था। सोना, चांदी, बिरयानी चिकन, मलाई की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की।
8. सामाजिक कार्य: डकैती के पेशे के अलावा वो छोटे बच्चों को सुलाने का भी काम करता था। सैकड़ों माताएं उसका नाम लेती थीं ताकि बच्चे बिना कलह किए सो जाएं।