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खटखट मॉडल

Satya

Epic Legend
Senior's
Chat Pro User
शब्दों में उजाला, पर कर्मों में धुंध,
चेहरे पर सच, पर अंदर है जुगत।
आईने में देखे जो सोने का रंग,
छूते ही झड़ता है माटी का ढंग।


सादगी की कसमें, मगर शौक नवाबी,
हकीकत से भागें, पर बातें किताबी।
सच्चाई का चोला, मगर भीतर धुआँ,
ऊपर से निर्मल, पर अंदर है कुआँ।


ईमान की मूरत, मगर जेबें भरी,

न्याय की बातें, पर नीयत ग़री।
प्रेम की कसमें, पर स्वार्थ का जाल,
शब्दों में अमृत, पर मन में हलाल।


प्रकृति की पूजा, मगर रसायन से स्नान,
शुद्धता का दावा, पर दिखावे की शान।
महानता का लबादा, पर लोभ की आग,
हर कदम छल, हर मोड़ पर दाग।


खटखट का शोर, ये तमाशा निराला,
सच पड़ा नीचे, झूठ ने संभाला।
शब्दों पर मत जा, कर्मों को देख,
वरना ये दुनिया तुझे ही बेच देगी!
 
शब्दों में उजाला, पर कर्मों में धुंध,
चेहरे पर सच, पर अंदर है जुगत।
आईने में देखे जो सोने का रंग,
छूते ही झड़ता है माटी का ढंग।


सादगी की कसमें, मगर शौक नवाबी,
हकीकत से भागें, पर बातें किताबी।
सच्चाई का चोला, मगर भीतर धुआँ,
ऊपर से निर्मल, पर अंदर है कुआँ।


ईमान की मूरत, मगर जेबें भरी,

न्याय की बातें, पर नीयत ग़री।
प्रेम की कसमें, पर स्वार्थ का जाल,
शब्दों में अमृत, पर मन में हलाल।


प्रकृति की पूजा, मगर रसायन से स्नान,
शुद्धता का दावा, पर दिखावे की शान।
महानता का लबादा, पर लोभ की आग,
हर कदम छल, हर मोड़ पर दाग।


खटखट का शोर, ये तमाशा निराला,
सच पड़ा नीचे, झूठ ने संभाला।
शब्दों पर मत जा, कर्मों को देख,
वरना ये दुनिया तुझे ही बेच देगी!
क्या प्रतिक्रिया दी जाए समझ से परे है...:Dream1:
आज की दुनिया तो अक्षरशः ऐसी ही है...

शुद्धता बहुत कम बची है लोगों में...
 
क्या प्रतिक्रिया दी जाए समझ से परे है...:Dream1:
आज की दुनिया तो अक्षरशः ऐसी ही है...

शुद्धता बहुत कम बची है लोगों में...
आप सही कह रहे हैं, मित्र, शुद्धता की बातें बहुत होती हैं, पर उसे जीने वाले बहुत कम हैं।:happy1:
 
शब्दों में उजाला, पर कर्मों में धुंध,
चेहरे पर सच, पर अंदर है जुगत।
आईने में देखे जो सोने का रंग,
छूते ही झड़ता है माटी का ढंग।


सादगी की कसमें, मगर शौक नवाबी,
हकीकत से भागें, पर बातें किताबी।
सच्चाई का चोला, मगर भीतर धुआँ,
ऊपर से निर्मल, पर अंदर है कुआँ।


ईमान की मूरत, मगर जेबें भरी,

न्याय की बातें, पर नीयत ग़री।
प्रेम की कसमें, पर स्वार्थ का जाल,
शब्दों में अमृत, पर मन में हलाल।


प्रकृति की पूजा, मगर रसायन से स्नान,
शुद्धता का दावा, पर दिखावे की शान।
महानता का लबादा, पर लोभ की आग,
हर कदम छल, हर मोड़ पर दाग।


खटखट का शोर, ये तमाशा निराला,
सच पड़ा नीचे, झूठ ने संभाला।
शब्दों पर मत जा, कर्मों को देख,
वरना ये दुनिया तुझे ही बेच देगी!
सत्य वचन, प्रतिक्रिया के लिए कोई शब्द नहीं, एक एक शब्दो में हम सबकी कही न कही अपनी चेहरे भी हैँ,,
 
शब्दों में उजाला, पर कर्मों में धुंध,
चेहरे पर सच, पर अंदर है जुगत।
आईने में देखे जो सोने का रंग,
छूते ही झड़ता है माटी का ढंग।


सादगी की कसमें, मगर शौक नवाबी,
हकीकत से भागें, पर बातें किताबी।
सच्चाई का चोला, मगर भीतर धुआँ,
ऊपर से निर्मल, पर अंदर है कुआँ।


ईमान की मूरत, मगर जेबें भरी,

न्याय की बातें, पर नीयत ग़री।
प्रेम की कसमें, पर स्वार्थ का जाल,
शब्दों में अमृत, पर मन में हलाल।


प्रकृति की पूजा, मगर रसायन से स्नान,
शुद्धता का दावा, पर दिखावे की शान।
महानता का लबादा, पर लोभ की आग,
हर कदम छल, हर मोड़ पर दाग।


खटखट का शोर, ये तमाशा निराला,
सच पड़ा नीचे, झूठ ने संभाला।
शब्दों पर मत जा, कर्मों को देख,
वरना ये दुनिया तुझे ही बेच देगी!
वाह! यह कविता बहुत ही प्रभावशाली और सत्य है!
*A_AICS
 
Wah wah wah sb ke sb hindi ke teacher bana diye
ऐसा नहीं! यह दोस्तों का प्यार है कि उन्होंने मेरी कविता को शुद्ध हिंदी में सराहा। वैसे, मुझे थोड़ा संगठित तरीके से लिखना पसंद है, जैसे कि हिंदी सेक्शन में पूरी शुद्ध हिंदी, और अंग्रेजी सेक्शन में पूरी शुद्ध अंग्रेजी, कोई मिलावट नहीं! :happy1:
 
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