पहली मुलाकात में ही मैंने
माना की प्रेम भी "दुबारा" होता है,
भला इतने बड़े आसमान में
थोड़ी न एक ही "सितारा" होता है...!!!
डूब जाने को जी करता है
समंदर सी गहरी उसकी निगाहों में,
किसने अफ़वाह फैलाई की
समंदर का पानी "खारा" होता है...!!!
चौखट पर गड़ी ही रहती है
आज़कल सूनी सी ये निगाहें मेरी,
वो जानता नहीं उसकी रहगुज़र
पर ही मेरा "गुज़ारा" होता है...!!!
बात-बेबात कभी रुख़सत भी वो हो जाए
तो मना लेता हूं मैं,
दिल का रोग लगाने वालों के पास
कहां कोई "चारा" होता है...!!!
जिल्लत भी सहनी पड़ती हैं
प्रेम की राहों में दिलशाद मेरे,
वरना, यूं ही थोड़ी न कोई
'मैं' और 'तुम' से "हमारा" होता है...!!!
माना की प्रेम भी "दुबारा" होता है,
भला इतने बड़े आसमान में
थोड़ी न एक ही "सितारा" होता है...!!!
डूब जाने को जी करता है
समंदर सी गहरी उसकी निगाहों में,
किसने अफ़वाह फैलाई की
समंदर का पानी "खारा" होता है...!!!
चौखट पर गड़ी ही रहती है
आज़कल सूनी सी ये निगाहें मेरी,
वो जानता नहीं उसकी रहगुज़र
पर ही मेरा "गुज़ारा" होता है...!!!
बात-बेबात कभी रुख़सत भी वो हो जाए
तो मना लेता हूं मैं,
दिल का रोग लगाने वालों के पास
कहां कोई "चारा" होता है...!!!
जिल्लत भी सहनी पड़ती हैं
प्रेम की राहों में दिलशाद मेरे,
वरना, यूं ही थोड़ी न कोई
'मैं' और 'तुम' से "हमारा" होता है...!!!