Siddhantrt
Epic Legend
मैंने कहा था ना-
कि मै और तुम विपरीत
मौसम हैं।
न मिल पाना ही हमारी नियति है,
बस एक अंतर है तुममे और मुझमे
शीत हो या ग्रीष्म
वसंत हो या असाढ़
मेरा और तुम्हारा विरह
एक ही रंग का है।
हम दोनों उदासी की
गीली सड़क पर चल रहे हैं,
सुनसान काली गलियो में
प्राण अक्सर हाँफने लगते है।
जानते हो तुम और मैं आज भी
भीड़ में अपने अकेलेपन को छांट लेते हैं
बड़ा मुश्किल है खुशियों के संग जीना
क्योकि उदासियों के पागलपन में जी रहे हैं हम
मैंने कहा था ना हमको मिलाने वाले सूत्र
अंधे हो चुके थे,
तो बताओ ना कैसे मिल पाता मैं तुमसे
जबकि हम दोनों मौसम विपरीत है,
ज्वर से तप्त देह, अँधेरा और दवा के पुर्ज़े
उसपर तुम्हारा ख्याल बेमकसद तो नहीं
हाँ ये जीवन बेमकसद हो चुका है
देह आतुर है साँप की भांति केंचुली बदलने को,
बड़ा मुश्किल है दो विपरीत
मौसम को मिलाना.......!!
जैसे की तुम्हारी चुप्पी में
किसी सच का लुप्त हो जाना...!!
कि मै और तुम विपरीत
मौसम हैं।
न मिल पाना ही हमारी नियति है,
बस एक अंतर है तुममे और मुझमे
शीत हो या ग्रीष्म
वसंत हो या असाढ़
मेरा और तुम्हारा विरह
एक ही रंग का है।
हम दोनों उदासी की
गीली सड़क पर चल रहे हैं,
सुनसान काली गलियो में
प्राण अक्सर हाँफने लगते है।
जानते हो तुम और मैं आज भी
भीड़ में अपने अकेलेपन को छांट लेते हैं
बड़ा मुश्किल है खुशियों के संग जीना
क्योकि उदासियों के पागलपन में जी रहे हैं हम
मैंने कहा था ना हमको मिलाने वाले सूत्र
अंधे हो चुके थे,
तो बताओ ना कैसे मिल पाता मैं तुमसे
जबकि हम दोनों मौसम विपरीत है,
ज्वर से तप्त देह, अँधेरा और दवा के पुर्ज़े
उसपर तुम्हारा ख्याल बेमकसद तो नहीं
हाँ ये जीवन बेमकसद हो चुका है
देह आतुर है साँप की भांति केंचुली बदलने को,
बड़ा मुश्किल है दो विपरीत
मौसम को मिलाना.......!!
जैसे की तुम्हारी चुप्पी में
किसी सच का लुप्त हो जाना...!!