'कुछ तुम्हारे लिए'
कोई नहीं जानता
कब कहाँ क्या हो जाए,
क्यों न तब तक इस रिश्ते का
एहतराम किया जाए!
मैंने तुम पर हक़ नहीं
तुम्हारा साथ माँगा है,
इसीलिए सोचा इश्क़ का इज़हार
सरेआम किया जाए!
फ़िलहाल तो दूर रहना
एक मजबूरी है,
आओ मुस्कुराकर इस ग़म को
नाकाम किया जाए!
तुम्हारा आना किसी दुआ
के कबूल होने जैसा है,
क्यों न रब का शुक्रिया
सुबह-ओ-शाम किया जाए!
ज़िंदगी चाह रही है
एक नई शुरुआत करना,
कुछ पुराने किस्सों को
यहीं तमाम किया जाए!
दिल छू जाता है तुम्हारा
बोलते बोलते चुप जाना,
अब वक़्त है आँखों को
आँखों से पैगाम दिया जाए!
सोचता हूँ तुम्हारी वफ़ा का
तुम्हें ईनाम दिया जाए,
आज भरी महफ़िल में हाथ
तुम्हारा थाम लिया जाए!
मुझे अच्छा लगता है
तुम्हारा नाम गुनगुनाना,
चाहता हूँ तुम्हारे नाम के बाद
मेरा नाम लिया जाए!
कोई नहीं जानता
कब कहाँ क्या हो जाए,
क्यों न तब तक इस रिश्ते का
एहतराम किया जाए!
मैंने तुम पर हक़ नहीं
तुम्हारा साथ माँगा है,
इसीलिए सोचा इश्क़ का इज़हार
सरेआम किया जाए!
फ़िलहाल तो दूर रहना
एक मजबूरी है,
आओ मुस्कुराकर इस ग़म को
नाकाम किया जाए!
तुम्हारा आना किसी दुआ
के कबूल होने जैसा है,
क्यों न रब का शुक्रिया
सुबह-ओ-शाम किया जाए!
ज़िंदगी चाह रही है
एक नई शुरुआत करना,
कुछ पुराने किस्सों को
यहीं तमाम किया जाए!
दिल छू जाता है तुम्हारा
बोलते बोलते चुप जाना,
अब वक़्त है आँखों को
आँखों से पैगाम दिया जाए!
सोचता हूँ तुम्हारी वफ़ा का
तुम्हें ईनाम दिया जाए,
आज भरी महफ़िल में हाथ
तुम्हारा थाम लिया जाए!
मुझे अच्छा लगता है
तुम्हारा नाम गुनगुनाना,
चाहता हूँ तुम्हारे नाम के बाद
मेरा नाम लिया जाए!