कुछ ऐसी है वो!..
वो सब कुछ
जिनका साथ होना असंभव सा लगता है
उन सबके सम्मिश्रण सी है वो..
हां, थोडी सा झल्ली है, थोडी नखरैल भी
थोडी चंचल है, थोडी मौन भी
थोड़ी गुस्सैल भी..
कभी हक जताती है, कभी खुद से दूर करती है
अपने अनोखेपन से हमें,
ख़ुद को चाहने पर मजबूर करती है।
पास वो हमारे आती नहीं, और
दूर हमें उससे रहा जाता नहीं
आदतों में वो हमारे इस कदर शुमार है,
बिन उसके हमें अब कुछ भाता नहीं।
नींदों में उसकी खनक, तो
ख्वाबों पर उसके पहरे हैं
संग गुजरे जो पल उसके,
वो लगते बड़े सुनहरे हैं।
ना पूछो कि उसके बिन जीना कैसा है
बस इतना समझो....
गुजरता हर पल सदियों जैसा है
क्या कहें हम तुमसे कि वो कैसी है
हम कहते हैं बिल्कुल खुदा के जैसी है।
पूछते हो तुम यूं मुझसे कि कौन है वो
तो सुनों!...
किसी का ख़्वाब, किसी की आरज़ू,
किसी का चैन है वो।
कुछ ऐसी है वो..
वो सब कुछ
जिनका साथ होना असंभव सा लगता है
उन सबके सम्मिश्रण सी है वो..
हां, थोडी सा झल्ली है, थोडी नखरैल भी
थोडी चंचल है, थोडी मौन भी
थोड़ी गुस्सैल भी..
कभी हक जताती है, कभी खुद से दूर करती है
अपने अनोखेपन से हमें,
ख़ुद को चाहने पर मजबूर करती है।
पास वो हमारे आती नहीं, और
दूर हमें उससे रहा जाता नहीं
आदतों में वो हमारे इस कदर शुमार है,
बिन उसके हमें अब कुछ भाता नहीं।
नींदों में उसकी खनक, तो
ख्वाबों पर उसके पहरे हैं
संग गुजरे जो पल उसके,
वो लगते बड़े सुनहरे हैं।
ना पूछो कि उसके बिन जीना कैसा है
बस इतना समझो....
गुजरता हर पल सदियों जैसा है
क्या कहें हम तुमसे कि वो कैसी है
हम कहते हैं बिल्कुल खुदा के जैसी है।
पूछते हो तुम यूं मुझसे कि कौन है वो
तो सुनों!...
किसी का ख़्वाब, किसी की आरज़ू,
किसी का चैन है वो।
कुछ ऐसी है वो..
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