भरे हैं लोग
चारों ओर
देश में...शहर में
गली-मुहल्ले में
दोस्त भी हैं कई
फेसबुक में
मोबाइल में
जो नंबर के साथ
सुरक्षित हैं
अपनी जेब़ में।
मगर क्या कोई
सच में ऐसा होता है
अपने पास
जिसके सामने
कह दें
बेचैनियां सारी
बांट लें
दिल का दर्द जिससे
रोकर
हल्का करें अपना मन।
जो कभी
किसी के छल की बात सुन
विद्रूपता से न हंसे
कहे ये
कि गलत तू नहीं
तेरा भोलापन है
जो न समझ पाता है
छलिए को।
कभी सोचा है
इस पूरे संसार में
कोई
भी
इतना अकेला क्यों होता है
तेज हवाओं से लड़ते
अकेले दीप की तरह।
चारों ओर
देश में...शहर में
गली-मुहल्ले में
दोस्त भी हैं कई
फेसबुक में
मोबाइल में
जो नंबर के साथ
सुरक्षित हैं
अपनी जेब़ में।
मगर क्या कोई
सच में ऐसा होता है
अपने पास
जिसके सामने
कह दें
बेचैनियां सारी
बांट लें
दिल का दर्द जिससे
रोकर
हल्का करें अपना मन।
जो कभी
किसी के छल की बात सुन
विद्रूपता से न हंसे
कहे ये
कि गलत तू नहीं
तेरा भोलापन है
जो न समझ पाता है
छलिए को।
कभी सोचा है
इस पूरे संसार में
कोई
भी
इतना अकेला क्यों होता है
तेज हवाओं से लड़ते
अकेले दीप की तरह।