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औकात

Yug Purush

Epic Legend
Senior's
Chat Pro User
गिरना भी अच्छा है,
औकात का पता चलता है…
बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को…
अपनों का पता चलता है!

जिन्हे गुस्सा आता है,
वो लोग सच्चे होते हैं,
मैंने झूठों को अक्सर
मुस्कुराते हुए देखा हैं…

सीख रहा हूँ मैं भी,
मनुष्यों को पढ़ने का हुनर,
सुना है चेहरे पे…
किताबों से ज्यादा लिखा होता है…!”♥️
 
गिरना भी अच्छा है,
औकात का पता चलता है…
बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को…
अपनों का पता चलता है!

जिन्हे गुस्सा आता है,
वो लोग सच्चे होते हैं,
मैंने झूठों को अक्सर
मुस्कुराते हुए देखा हैं…

सीख रहा हूँ मैं भी,
मनुष्यों को पढ़ने का हुनर,
सुना है चेहरे पे…
किताबों से ज्यादा लिखा होता है…!”♥️
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गिरना भी अच्छा है,
औकात का पता चलता है…
बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को…
अपनों का पता चलता है!

जिन्हे गुस्सा आता है,
वो लोग सच्चे होते हैं,
मैंने झूठों को अक्सर
मुस्कुराते हुए देखा हैं…

सीख रहा हूँ मैं भी,
मनुष्यों को पढ़ने का हुनर,
सुना है चेहरे पे…
किताबों से ज्यादा लिखा होता है…!”♥️
ना जाना यूं ही किसी के
चेहरे की लिखावट पे
चेहरे पे मुस्कान लिए
हाथों में खंजर लिए रहते हैं।
 
ना जाना यूं ही किसी के
चेहरे की लिखावट पे
चेहरे पे मुस्कान लिए
हाथों में खंजर लिए रहते हैं।
हमारी आंखों ने हजारों रंग के मंजर देखे हैं
होठों पर हंसी आस्तीनों में खंजर देखे हैं...
 
हमारी आंखों ने हजारों रंग के मंजर देखे हैं
होठों पर हंसी आस्तीनों में खंजर देखे हैं...
संभल जाना तुम फिर दोस्त ऐसे लोगों से
अपना कह के बेगाना करने का हुनर रखते हैं..
 
संभल जाना तुम फिर दोस्त ऐसे लोगों से
अपना कह के बेगाना करने का हुनर रखते हैं..
अब तो अपने ही अपनों को, बेगाना समझते हैं
सिर्फ अपने घर को ही सारा, जमाना समझते हैं
 
अब तो अपने ही अपनों को, बेगाना समझते हैं
सिर्फ अपने घर को ही सारा, जमाना समझते हैं
बहुत खूब

पर अब घर भी कहां जमाना रहा
अब तो मोबाइल को ही दुनिया समझते हैं
 
बहुत खूब

पर अब घर भी कहां जमाना रहा
अब तो मोबाइल को ही दुनिया समझते हैं
दिनों-दिनों के फेर में 'मोबाइल' हुआ जमाना,
रुकने की फुरसत है किसको बस जीने का है बहाना।
 
दिनों-दिनों के फेर में 'मोबाइल' हुआ जमाना,
रुकने की फुरसत है किसको बस जीने का है बहाना।
वहीं तो...

जीने के बहाने लाखों हैं
जीना तुझको आया ही नहीं,
कोई भी किसी का हो सकता है
बस तुमने अपनाया ही नहीं।

(मशहूर गाने की चंद पंक्तियां)
सार्थक और बेजोड़, पर कोई सुने तब ना।
 
वहीं तो...

जीने के बहाने लाखों हैं
जीना तुझको आया ही नहीं,
कोई भी किसी का हो सकता है
बस तुमने अपनाया ही नहीं।

(मशहूर गाने की चंद पंक्तियां)
सार्थक और बेजोड़, पर कोई सुने तब ना।
हम तुम मिले न थे तो जुदाई का था मलाल
अब ये मलाल है कि तमन्ना निकल गई।।
 
हम तुम मिले न थे तो जुदाई का था मलाल
अब ये मलाल है कि तमन्ना निकल गई।।
अपने तमन्नाओं को तुम फिर से संवार लो
सुबह फिर होगी, कभी तो उनसे मिलना होगा।
 
अपने तमन्नाओं को तुम फिर से संवार लो
सुबह फिर होगी, कभी तो उनसे मिलना होगा।
तेरा ख़याल तेरी तमन्ना तक आ गया
मैं दिल को ढूंढ़ता हुआ दुनिया तक आ गया।।
 
तेरा ख़याल तेरी तमन्ना तक आ गया
मैं दिल को ढूंढ़ता हुआ दुनिया तक आ गया।।
ढूंढते हुए आ ही गए हो
कुछ पल ठहरो तो सही,
इसी दुनिया की है वो
सामने तो आना ही होगा।
 
ढूंढते हुए आ ही गए हो
कुछ पल ठहरो तो सही,
इसी दुनिया की है वो
सामने तो आना ही होगा।
छोटी सी मुस्कान लेकर, दिल में कोई अरमान लेकर
चुपके से आओ ना, कुछ पल के लिए।

नज़रें मिलाकर, होंठों को खिलाकर
ज़रा सा मस्काओ ना, कुछ पल के लिए।

थोड़ी सी फिक्र करके, मेरा भी जिक्र करके
कुछ अपनी सुनाओ ना, कुछ पल के लिए

दिल को आवाज बनाके, रोने को अंदाज बनाके
दर्द ए मोहबत गाओ ना, कुछ पल के लिए।

आंखों में पानी लेकर, हिचकती जुबानी लेकर
फिर से प्यार जताओ ना, कुछ पल के लिए

वफा के कातिल बनके, सज़ा के काबिल बनके
हमको सताओ ना, कुछ पल के लिए।

मुझपे रहम करके, कुछ भी सहन करके
अपने सीने से लगाओ ना, कुछ पल के लिए।।
 
गिरना भी अच्छा है,
औकात का पता चलता है…
बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को…
अपनों का पता चलता है!

जिन्हे गुस्सा आता है,
वो लोग सच्चे होते हैं,
मैंने झूठों को अक्सर
मुस्कुराते हुए देखा हैं…

सीख रहा हूँ मैं भी,
मनुष्यों को पढ़ने का हुनर,
सुना है चेहरे पे…
किताबों से ज्यादा लिखा होता है…!”♥️
हवाओं से कहदो किअपनी औकात में
रहे हम पैरों से नहीं हौसलो से ड़ा करते है..!!
 
हवाओं से कहदो किअपनी औकात में
रहे हम पैरों से नहीं हौसलो से ड़ा करते है..!!
औकात नहीं हैं, आँख से आँख मिलाने की,
और बात करते हैं हमारा नाम मिटाने की।
 
औकात नहीं हैं, आँख से आँख मिलाने की,
और बात करते हैं हमारा नाम मिटाने की।
अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उँगलियाँ
जिनकी हमे छुने की औकात नहीं होती
 
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