मुझे तुम वहाँ मिलना
जहाँ आसमाँ का मिलन
नदी के किनारों से हो
मोर तारों को
चुन कर ला रहें हों
रात की चादर पर
जुगनू सपने बुन रहे हो,
ऐसे ही किसी रात में
जब चाँद बादलों से
अठखेलियाँ कर रहा हो
भोर का रंग
पूरब पर छा चुका हो,
तब तुम भी अपने
प्रेम से रंगना मुझे
क़िस्सा लिखना
हमारे मिलन का
सुनो तुम ऐसे किसी पल
में मुझे मिलना!
जहाँ आसमाँ का मिलन
नदी के किनारों से हो
मोर तारों को
चुन कर ला रहें हों
रात की चादर पर
जुगनू सपने बुन रहे हो,
ऐसे ही किसी रात में
जब चाँद बादलों से
अठखेलियाँ कर रहा हो
भोर का रंग
पूरब पर छा चुका हो,
तब तुम भी अपने
प्रेम से रंगना मुझे
क़िस्सा लिखना
हमारे मिलन का
सुनो तुम ऐसे किसी पल
में मुझे मिलना!