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एक सवाल है तुमसे ऐ मेरे मेहबूब माँगा ही क्या है मैंने तुमसे..

Somaiya Karn

Quodophile of ZoZo
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b30a9485a0939a56384164f76a027358.jpgएक सवाल है तुमसे ऐ मेरे मेहबूब माँगा ही क्या है मैंने ..तुमसे तुम्हारे निश्छल प्रेम के अलावा ना भविष्य माँगा ना शरीर ना ही पैसे...
फिर क्यूं दिल दुखाते हो तुम मेरा हर बार जब जब तुम्हारी कविताओं में किसी और की झलक दिखती है मुझे तुम लाख इंकार करो वो तुम्हारे हर शब्द में दिखती है मुझे चोट पहुँचती है मेरे दिल को ये सोचकर कि मेरा होना कितना अर्थहीन है तुम्हारे लिए फिर क्यूं हूं मैं तुम्हारी ज़िन्दगी में शिकायत नहीं करूँगी पर मैं टूट जाऊंगी फिर ना मिलेगी ये औरत तुम्हें जिसका मकसद सिर्फ तुम्हें ख़ुशी देना था
 
View attachment 214894एक सवाल है तुमसे ऐ मेरे मेहबूब माँगा ही क्या है मैंने ..तुमसे तुम्हारे निश्छल प्रेम के अलावा ना भविष्य माँगा ना शरीर ना ही पैसे...
फिर क्यूं दिल दुखाते हो तुम मेरा हर बार जब जब तुम्हारी कविताओं में किसी और की झलक दिखती है मुझे तुम लाख इंकार करो वो तुम्हारे हर शब्द में दिखती है मुझे चोट पहुँचती है मेरे दिल को ये सोचकर कि मेरा होना कितना अर्थहीन है तुम्हारे लिए फिर क्यूं हूं मैं तुम्हारी ज़िन्दगी में शिकायत नहीं करूँगी पर मैं टूट जाऊंगी फिर ना मिलेगी ये औरत तुम्हें जिसका मकसद सिर्फ तुम्हें ख़ुशी देना था
कैसे बताऊं मैं तुम्हें मेरे लिए तुम कौन हो...... कैसे बताऊं मैं तुम धड़कनों का गीत हो, जीवन का तुम संगीत हो.... तुम जिंदगी तुम बंदगी , तुम रोशनी तुम ताजगी... तुम हर खुशी तुम प्यार हो, तुम प्रीत हो मनमीत हो आंखों में तुम यादों में तुम ... सांसों मे तुम , आंहो में तुम... नींदों में तुम ख्वाबों में तुम.... तुम हो मेरी हर बात में, तुम हो मेरे दिन रात में ..... सुबह में तुम शाम में तुम, मेरी सोच मैं तुम मेरे काम मैं तुम... मेरे लिए पाना भी तुम मेरे लिए खोना भी तुम, मेरे लिए हंसना भी तुम, मेरे लिए रोना भी तुम..... जाऊं कहीं देखूं कहीं, तुम हो वहां तुम हो वहीं ||
कैसे बताऊं मैं तुम्हें..... मेरे लिए तुम कौन हो.
:inlove:
 
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View attachment 214894एक सवाल है तुमसे ऐ मेरे मेहबूब माँगा ही क्या है मैंने ..तुमसे तुम्हारे निश्छल प्रेम के अलावा ना भविष्य माँगा ना शरीर ना ही पैसे...
फिर क्यूं दिल दुखाते हो तुम मेरा हर बार जब जब तुम्हारी कविताओं में किसी और की झलक दिखती है मुझे तुम लाख इंकार करो वो तुम्हारे हर शब्द में दिखती है मुझे चोट पहुँचती है मेरे दिल को ये सोचकर कि मेरा होना कितना अर्थहीन है तुम्हारे लिए फिर क्यूं हूं मैं तुम्हारी ज़िन्दगी में शिकायत नहीं करूँगी पर मैं टूट जाऊंगी फिर ना मिलेगी ये औरत तुम्हें जिसका मकसद सिर्फ तुम्हें ख़ुशी देना था

कुछ ऐसे लोग मिले जो मोहब्बत का नाम तो दिए,
पर नफरत ही उनकी कहानी थी,
परायेपन से अपनेपन का एहसास तो दिए,
पर झूठ और फरेब ही उनकी जिंदगानी थी,
कहते थे तुम एक पल तुम्हारे बिन जी नहीं सकते,
तुम्हारी खुशी के अलावा ऊपर वाले से कुछ माँग नहीं सकते,
क्या वो वादे तोड़ने के लिए थे?
लेते रहे इंतहा बातों बातों पर, पर हम भी इंतहा से कभी हारे नहीं,
जो सजा मिली हमको मुहब्बत की कभी किसी से बता सकते नहीं,
दर्द होने के बाद भी हमेशा की तरह दुआ ही निकलेगी कि ये सजा देना ही आपके सर का ताज हो जाए,
 
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फिर क्यूं दिल दुखाते हो तुम मेरा हर बार जब जब तुम्हारी कविताओं में किसी और की झलक दिखती है मुझे तुम लाख इंकार करो वो तुम्हारे हर शब्द में दिखती है मुझे चोट पहुँचती है मेरे दिल को ये सोचकर कि मेरा होना कितना अर्थहीन है तुम्हारे लिए फिर क्यूं हूं मैं तुम्हारी ज़िन्दगी में शिकायत नहीं करूँगी पर मैं टूट जाऊंगी फिर ना मिलेगी ये औरत तुम्हें जिसका मकसद सिर्फ तुम्हें ख़ुशी देना था
Lovely.
 
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फिर क्यूं दिल दुखाते हो तुम मेरा हर बार जब जब तुम्हारी कविताओं में किसी और की झलक दिखती है मुझे तुम लाख इंकार करो वो तुम्हारे हर शब्द में दिखती है मुझे चोट पहुँचती है मेरे दिल को ये सोचकर कि मेरा होना कितना अर्थहीन है तुम्हारे लिए फिर क्यूं हूं मैं तुम्हारी ज़िन्दगी में शिकायत नहीं करूँगी पर मैं टूट जाऊंगी फिर ना मिलेगी ये औरत तुम्हें जिसका मकसद सिर्फ तुम्हें ख़ुशी देना था
Wowww so lovely :hearteyes:
 
कैसे बताऊं मैं तुम्हें मेरे लिए तुम कौन हो...... कैसे बताऊं मैं तुम धड़कनों का गीत हो, जीवन का तुम संगीत हो.... तुम जिंदगी तुम बंदगी , तुम रोशनी तुम ताजगी... तुम हर खुशी तुम प्यार हो, तुम प्रीत हो मनमीत हो आंखों में तुम यादों में तुम ... सांसों मे तुम , आंहो में तुम... नींदों में तुम ख्वाबों में तुम.... तुम हो मेरी हर बात में, तुम हो मेरे दिन रात में ..... सुबह में तुम शाम में तुम, मेरी सोच मैं तुम मेरे काम मैं तुम... मेरे लिए पाना भी तुम मेरे लिए खोना भी तुम, मेरे लिए हंसना भी तुम, मेरे लिए रोना भी तुम..... जाऊं कहीं देखूं कहीं, तुम हो वहां तुम हो वहीं ||
कैसे बताऊं मैं तुम्हें..... मेरे लिए तुम कौन हो.
:inlove:
Atti sundar bdhya
 
Kaise Karu tujhse pyar apna me sajha..,
tujhse hi bandha he mene apne pyar ka dhaga..,

Tu heer he meri aur me tera hu ranjha..,
Pyar ko mere ajmakar karna na mujhe tu abhaga..,

Mehman nahi dil ye Tera Ghar aake isme tu samaja..
Mannate mangi hai lakho tabhi khuda ne mujhe tu he nawaza.
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फिर क्यूं दिल दुखाते हो तुम मेरा हर बार जब जब तुम्हारी कविताओं में किसी और की झलक दिखती है मुझे तुम लाख इंकार करो वो तुम्हारे हर शब्द में दिखती है मुझे चोट पहुँचती है मेरे दिल को ये सोचकर कि मेरा होना कितना अर्थहीन है तुम्हारे लिए फिर क्यूं हूं मैं तुम्हारी ज़िन्दगी में शिकायत नहीं करूँगी पर मैं टूट जाऊंगी फिर ना मिलेगी ये औरत तुम्हें जिसका मकसद सिर्फ तुम्हें ख़ुशी देना था
तुमने हर बार -
न सिर्फ़ मुझे तोड़ा
मेरी रूह
मेरे जज़्बात
मेरे प्यार
मेरी फ़िकर
मेरी क़दर
मेरे मान - सम्मान
स्वाभिमान
मेरे वजूद
मेरी अहमियत
मेरी ज़रूरत
तुम्हारे प्रति
मेरा ग़ुरूर
मेरी आस
मेरा अटूट विश्वास
मेरा दीवानापन
मेरा पागलपन
मेरा समर्पण
मेरा निश्छल प्रेम
मेरी भावना
सबका क़त्ल कर डाला !!

फिर भी सवाल करते हो...!!
FB_IMG_1710433716657.jpg
 
तुमने हर बार -
न सिर्फ़ मुझे तोड़ा
मेरी रूह
मेरे जज़्बात
मेरे प्यार
मेरी फ़िकर
मेरी क़दर
मेरे मान - सम्मान
स्वाभिमान
मेरे वजूद
मेरी अहमियत
मेरी ज़रूरत
तुम्हारे प्रति
मेरा ग़ुरूर
मेरी आस
मेरा अटूट विश्वास
मेरा दीवानापन
मेरा पागलपन
मेरा समर्पण
मेरा निश्छल प्रेम
मेरी भावना
सबका क़त्ल कर डाला !!


फिर भी सवाल करते हो...!!
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Deep pain
 
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फिर क्यूं दिल दुखाते हो तुम मेरा हर बार जब जब तुम्हारी कविताओं में किसी और की झलक दिखती है मुझे तुम लाख इंकार करो वो तुम्हारे हर शब्द में दिखती है मुझे चोट पहुँचती है मेरे दिल को ये सोचकर कि मेरा होना कितना अर्थहीन है तुम्हारे लिए फिर क्यूं हूं मैं तुम्हारी ज़िन्दगी में शिकायत नहीं करूँगी पर मैं टूट जाऊंगी फिर ना मिलेगी ये औरत तुम्हें जिसका मकसद सिर्फ तुम्हें ख़ुशी देना था
Beautiful
 
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