• We kindly request chatzozo forum members to follow forum rules to avoid getting a temporary suspension. Do not use non-English languages in the International Sex Chat Discussion section. This section is mainly created for everyone who uses English as their communication language.

एक बक्सा है, जंग लगा हुआ...

Siddhantrt

Epic Legend
एक बक्सा है, जंग लगा हुआ,
और इतना बदसूरत है कि
शर्मिंदा हो घर का वो कोना
मकड़ी के जालों के पर्दे में
कोशिश करता है खुद को छिपाने की,

बहती हवा के उकसाने पर
खिड़कियाँ बौखला दीवारों से लड़
पूछ बैठती हैं उस बक्से का राज़
पर दीवारें चुपचाप
ताकती रहती हैं एक दूसरे को,

सिर्फ़ छत वाकिफ़ है
कि उस घर में रहने वाला शख्स
वक़्त-बेवक़्त उस बक्से को खोल
क्या टटोलता-खोजता है.?

टेढ़ी-मेढ़ी लिखावट से सजे कुछ कागज़,
बेढंगे रंगे हँसते-हंसाते कागज़ी चेहरे,
है एक लिबास रंगा लाल लहू से और
किसी मासूम की मुस्कुराती तस्वीर,

न बारिश होती है,
और न ही छत टपकती है,
फिर भी उस तस्वीर के कांच पर
पानी की कुछ बूँदें देख
छत हैरान हो जाती है,

जैसे ही वो बक्सा बंद होता है,
शहर भर का सन्नाटा जैसे
हो इकठ्ठा खुद पहरा देता है,
किसी की दुनिया महफूज़ रखने को
और सोख लेता है सिसकियों की आवाजें,

एक बक्सा है, जंग लगा हुआ,
और इतना बदसूरत है कि
शर्मिंदा हो घर का वो कोना
मकड़ी के जालों के पर्दे में
कोशिश करता है खुद को छिपाने की......!!!!
 
एक बक्सा है, जंग लगा हुआ,
और इतना बदसूरत है कि
शर्मिंदा हो घर का वो कोना
मकड़ी के जालों के पर्दे में
कोशिश करता है खुद को छिपाने की,

बहती हवा के उकसाने पर
खिड़कियाँ बौखला दीवारों से लड़
पूछ बैठती हैं उस बक्से का राज़
पर दीवारें चुपचाप
ताकती रहती हैं एक दूसरे को,

सिर्फ़ छत वाकिफ़ है
कि उस घर में रहने वाला शख्स
वक़्त-बेवक़्त उस बक्से को खोल
क्या टटोलता-खोजता है.?

टेढ़ी-मेढ़ी लिखावट से सजे कुछ कागज़,
बेढंगे रंगे हँसते-हंसाते कागज़ी चेहरे,
है एक लिबास रंगा लाल लहू से और
किसी मासूम की मुस्कुराती तस्वीर,

न बारिश होती है,
और न ही छत टपकती है,
फिर भी उस तस्वीर के कांच पर
पानी की कुछ बूँदें देख
छत हैरान हो जाती है,

जैसे ही वो बक्सा बंद होता है,
शहर भर का सन्नाटा जैसे
हो इकठ्ठा खुद पहरा देता है,
किसी की दुनिया महफूज़ रखने को
और सोख लेता है सिसकियों की आवाजें,

एक बक्सा है, जंग लगा हुआ,
और इतना बदसूरत है कि
शर्मिंदा हो घर का वो कोना
मकड़ी के जालों के पर्दे में
कोशिश करता है खुद को छिपाने की......!!!!
Apne likha hai kya ?
 
एक बक्सा है, जंग लगा हुआ,
और इतना बदसूरत है कि
शर्मिंदा हो घर का वो कोना
मकड़ी के जालों के पर्दे में
कोशिश करता है खुद को छिपाने की,

बहती हवा के उकसाने पर
खिड़कियाँ बौखला दीवारों से लड़
पूछ बैठती हैं उस बक्से का राज़
पर दीवारें चुपचाप
ताकती रहती हैं एक दूसरे को,

सिर्फ़ छत वाकिफ़ है
कि उस घर में रहने वाला शख्स
वक़्त-बेवक़्त उस बक्से को खोल
क्या टटोलता-खोजता है.?

टेढ़ी-मेढ़ी लिखावट से सजे कुछ कागज़,
बेढंगे रंगे हँसते-हंसाते कागज़ी चेहरे,
है एक लिबास रंगा लाल लहू से और
किसी मासूम की मुस्कुराती तस्वीर,

न बारिश होती है,
और न ही छत टपकती है,
फिर भी उस तस्वीर के कांच पर
पानी की कुछ बूँदें देख
छत हैरान हो जाती है,

जैसे ही वो बक्सा बंद होता है,
शहर भर का सन्नाटा जैसे
हो इकठ्ठा खुद पहरा देता है,
किसी की दुनिया महफूज़ रखने को
और सोख लेता है सिसकियों की आवाजें,

एक बक्सा है, जंग लगा हुआ,
और इतना बदसूरत है कि
शर्मिंदा हो घर का वो कोना
मकड़ी के जालों के पर्दे में
कोशिश करता है खुद को छिपाने की......!!!!
बहुत aachi कविता
 
एक बक्सा है, जंग लगा हुआ,
और इतना बदसूरत है कि
शर्मिंदा हो घर का वो कोना
मकड़ी के जालों के पर्दे में
कोशिश करता है खुद को छिपाने की,

बहती हवा के उकसाने पर
खिड़कियाँ बौखला दीवारों से लड़
पूछ बैठती हैं उस बक्से का राज़
पर दीवारें चुपचाप
ताकती रहती हैं एक दूसरे को,

सिर्फ़ छत वाकिफ़ है
कि उस घर में रहने वाला शख्स
वक़्त-बेवक़्त उस बक्से को खोल
क्या टटोलता-खोजता है.?

टेढ़ी-मेढ़ी लिखावट से सजे कुछ कागज़,
बेढंगे रंगे हँसते-हंसाते कागज़ी चेहरे,
है एक लिबास रंगा लाल लहू से और
किसी मासूम की मुस्कुराती तस्वीर,

न बारिश होती है,
और न ही छत टपकती है,
फिर भी उस तस्वीर के कांच पर
पानी की कुछ बूँदें देख
छत हैरान हो जाती है,

जैसे ही वो बक्सा बंद होता है,
शहर भर का सन्नाटा जैसे
हो इकठ्ठा खुद पहरा देता है,
किसी की दुनिया महफूज़ रखने को
और सोख लेता है सिसकियों की आवाजें,

एक बक्सा है, जंग लगा हुआ,
और इतना बदसूरत है कि
शर्मिंदा हो घर का वो कोना
मकड़ी के जालों के पर्दे में
कोशिश करता है खुद को छिपाने की......!!!!
Thanks for the lovely read !!
 
Top