एक दर्द था,
जो सिगरेट की तरह मैंने चुपचाप पिया।
सिर्फ कुछ नज़्में हैं,
जो सिगरेट से राख की तरह मैंने झाड़ी हैं।।
- अमृता प्रीतम
जो सिगरेट की तरह मैंने चुपचाप पिया।
सिर्फ कुछ नज़्में हैं,
जो सिगरेट से राख की तरह मैंने झाड़ी हैं।।
- अमृता प्रीतम