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एक तस्वीर मैंने बनाई थी ,,

sameerkh1

Epic Legend
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Chat Pro User
जिन्दगी के कुछ हसीन पल बनके आ गये ,
वो होठो पर मेरे गजल बनके आ गये ।।
मै तो खण्हर हो गया था जमाने के लिये ,
वो वाहो मै मेरी ताजमहल बनके आ गये ।।

कट रहा था सफर मेरा धूप मै चलते चलते,
वो राहों मै मेरी भीगे बादल बनके आ गये ।।

भूल चुका था मै शायद इश्क के अहसासो को,
वो दहलीज पर मेरी बीता कल बनके आ गये ।।

टूटे छत से बरस रही थी वूँदे तन्हायी की ,
वो सर्द रातो मै मेरी महल बनके आ गये ।।

मै भटक रहा था प्यासा रेगिस्तान मै अकेला,
वो हाथो मै मेरे मीठा जल बनके आ गये ।।

कई सबाल उठ खडे थे उनके जाने के बाद,
वो उन सारे सबालो का हल बनके आ गये ।।

एक तस्बीर मैने बनायी थी अपने हमसफर की,
वो हूँवहू उस तस्बीर की नकल बनके आ गये ।।
 
जिन्दगी के कुछ हसीन पल बनके आ गये ,
वो होठो पर मेरे गजल बनके आ गये ।।
मै तो खण्हर हो गया था जमाने के लिये ,
वो वाहो मै मेरी ताजमहल बनके आ गये ।।

कट रहा था सफर मेरा धूप मै चलते चलते,
वो राहों मै मेरी भीगे बादल बनके आ गये ।।

भूल चुका था मै शायद इश्क के अहसासो को,
वो दहलीज पर मेरी बीता कल बनके आ गये ।।

टूटे छत से बरस रही थी वूँदे तन्हायी की ,
वो सर्द रातो मै मेरी महल बनके आ गये ।।

मै भटक रहा था प्यासा रेगिस्तान मै अकेला,
वो हाथो मै मेरे मीठा जल बनके आ गये ।।

कई सबाल उठ खडे थे उनके जाने के बाद,
वो उन सारे सबालो का हल बनके आ गये ।।

एक तस्बीर मैने बनायी थी अपने हमसफर की,
वो हूँवहू उस तस्बीर की नकल बनके आ गये ।।
बहुत कम लोग है जो मेरे सिल को भाते है,
और उससे भी बहुत कम है जो मुझे समझ पाते है!
 
जिन्दगी के कुछ हसीन पल बनके आ गये ,
वो होठो पर मेरे गजल बनके आ गये ।।
मै तो खण्हर हो गया था जमाने के लिये ,
वो वाहो मै मेरी ताजमहल बनके आ गये ।।

कट रहा था सफर मेरा धूप मै चलते चलते,
वो राहों मै मेरी भीगे बादल बनके आ गये ।।

भूल चुका था मै शायद इश्क के अहसासो को,
वो दहलीज पर मेरी बीता कल बनके आ गये ।।

टूटे छत से बरस रही थी वूँदे तन्हायी की ,
वो सर्द रातो मै मेरी महल बनके आ गये ।।

मै भटक रहा था प्यासा रेगिस्तान मै अकेला,
वो हाथो मै मेरे मीठा जल बनके आ गये ।।

कई सबाल उठ खडे थे उनके जाने के बाद,
वो उन सारे सबालो का हल बनके आ गये ।।

एक तस्बीर मैने बनायी थी अपने हमसफर की,
वो हूँवहू उस तस्बीर की नकल बनके आ गये ।।
:whistle:
 
एक बार हो जाए तेरी तस्वीर का दीदार..
जी भर के कर सकूंगा मैं तुमसे प्यार..
 
अपने अहसास को रंगों में डुबो कर उसकी एक तस्वीर मैंने बनाई है, ज़रा देखो तो मेरी मोहब्बत की गहराई
 
जिन्दगी के कुछ हसीन पल बनके आ गये ,
वो होठो पर मेरे गजल बनके आ गये ।।
मै तो खण्हर हो गया था जमाने के लिये ,
वो वाहो मै मेरी ताजमहल बनके आ गये ।।

कट रहा था सफर मेरा धूप मै चलते चलते,
वो राहों मै मेरी भीगे बादल बनके आ गये ।।

भूल चुका था मै शायद इश्क के अहसासो को,
वो दहलीज पर मेरी बीता कल बनके आ गये ।।

टूटे छत से बरस रही थी वूँदे तन्हायी की ,
वो सर्द रातो मै मेरी महल बनके आ गये ।।

मै भटक रहा था प्यासा रेगिस्तान मै अकेला,
वो हाथो मै मेरे मीठा जल बनके आ गये ।।

कई सबाल उठ खडे थे उनके जाने के बाद,
वो उन सारे सबालो का हल बनके आ गये ।।

एक तस्बीर मैने बनायी थी अपने हमसफर की,
वो हूँवहू उस तस्बीर की नकल बनके आ गये ।।
Bahut khub
 
ना जाने कौन से मोड़ पर ले आई है ये जिंदगी,
ना रास्ता है ना मंजिल है बस जिए जा रहे है!
बड़ी तमन्नाएं थी किसी के लिए,
कर निसार कही चले जा रहे है।
मालूम नहीं वक्त की ख़बर अब,
बस यूँ ही जिये जा रहे हैं।
 
तिरी तस्वीर तो वा'दे के दिन खिंचने के क़ाबिल है कि शर्माई हुई आँखें हैं घबराया हुआ दिल है
बहुत ख़ूब
 
एक बार हो जाए तेरी तस्वीर का दीदार..
जी भर के कर सकूंगा मैं तुमसे प्यार..
अब और देर न कर हश्र बरपा करने में
मेरी नज़र तेरे दीदार को तरसती है
 
अपने अहसास को रंगों में डुबो कर उसकी एक तस्वीर मैंने बनाई है, ज़रा देखो तो मेरी मोहब्बत की गहराई
तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गया
ख़ुश हूँ कि कुछ न कुछ तो मिरे पास रह गया
 
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