Siddhantrt
Epic Legend
उसकी लिखी गई चिट्ठी एक अदद शाम में :-
यूं तो मैं बस इतना कह कर भी बात खत्म कर सकती थी कि, "मैं तुम्हारी ही रहूंगी हमेशा", लेकिन तुम्हारे डर को जो कि मेरे चले जाने का है, इसे मिटाना भी तो ज़रूरी है।
मेंहदी लगे हाथों से सिर्फ तुम्हारा ही कुर्ता खराब करूँगी, क्योंकि मैं अपने हाथों में मेंहदी बस तुम्हारे ही लिए लगाऊंगी।
"अजी आई" शायद न कहा करूँ, क्योंकि जब करवट बदलोगे तो बिस्तर के बाईं तरफ ही लेटी मिलूंगी, पहले तुम्हें ही उठना होगा।
साथ देने का वादा कर रही हूं तो साथ ज़रूर दूंगी, धोखेबाज़ी नहीं आती है मुझे,
और तुम वो सब पा सकोगे, जो पाना चाहते हो।
तुम्हारी बाहें थामे पूरी उम्र बिताना चाहती हूं, कभी किसी बेमौसम की बारिश में भीगना चाहती हूं, कभी सर्द ख़ामोश रातों में बस तुम्हारी छाती पे सिर रखे तुम्हें महसूसना चाहती हूं।
कुछ भी भला या बुरा न होगा, सब खूबसूरत होगा जब हम साथ होंगे, कोई और नहीं।
मगर तुम मुझे किसी शाम अकेला छोड के चले गए तो...??
यूं तो मैं बस इतना कह कर भी बात खत्म कर सकती थी कि, "मैं तुम्हारी ही रहूंगी हमेशा", लेकिन तुम्हारे डर को जो कि मेरे चले जाने का है, इसे मिटाना भी तो ज़रूरी है।
मेंहदी लगे हाथों से सिर्फ तुम्हारा ही कुर्ता खराब करूँगी, क्योंकि मैं अपने हाथों में मेंहदी बस तुम्हारे ही लिए लगाऊंगी।
"अजी आई" शायद न कहा करूँ, क्योंकि जब करवट बदलोगे तो बिस्तर के बाईं तरफ ही लेटी मिलूंगी, पहले तुम्हें ही उठना होगा।
साथ देने का वादा कर रही हूं तो साथ ज़रूर दूंगी, धोखेबाज़ी नहीं आती है मुझे,
और तुम वो सब पा सकोगे, जो पाना चाहते हो।
तुम्हारी बाहें थामे पूरी उम्र बिताना चाहती हूं, कभी किसी बेमौसम की बारिश में भीगना चाहती हूं, कभी सर्द ख़ामोश रातों में बस तुम्हारी छाती पे सिर रखे तुम्हें महसूसना चाहती हूं।
कुछ भी भला या बुरा न होगा, सब खूबसूरत होगा जब हम साथ होंगे, कोई और नहीं।
मगर तुम मुझे किसी शाम अकेला छोड के चले गए तो...??