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अल्फाज़.... एक औरत के

Rockzz ✨श्वेतराग✨

खराब किस्मत का बादशाह (King of bad luck)
Senior's
Chat Pro User
छोड़ कर खुशबू भी ले जाओगे..
तुम तो जाते ही इस जान को ले जाओगे..

यूं बीच राह में हाथ छोड़ लापता हो जाओगे..
हमसे या खुदसे खुदी को यूं छुपाओगे..

आखरी अर्ज करना रह गया था बाकी..
तुम महफ़िल को क्या यूंही रूसबा कर लौट जाओगे..

इस बार हाथ तुमने नहीं हमने पकड़ा है..
यूंही हमसे रूठ कर जाने नहीं पाओगे..

तुम क्यों दिल दुखाते हो अपनी सांसों का हिसाब गिनाते हो..
हम भी बैठ जाएंगे सजदों में फिर से.. हर दुआ को तेरा यूं पता दे आएंगे..

कोई बात है तो ज़रा हमें भी बताओ..
वो दीवारें हैं सिर्फ सुनना जानती है..

कितना मासूम है वो सब कह कर भी कहता है कुछ भी नहीं है..
मगर हम भी उसके कुछ नहीं में भी सब कुछ ढूंढ लेते हैं..

चंचल मन भागे फिरे है कोई तो आके विराम लगाए..
मन अटरिया में अंधियारी भरी है कोई तो प्रेम का दीप जलाए..

दरख्तों की शाखें हरी हो चली है..
पुरानी दराज़ो की धूली साफ हो चली है..

अब जाके आया है वो संदेशा पीया का..
अब फिर से सजेगा अंगना वो मेहंदी..

उठेगी फूलों से खिलती हुई डोली..
झांझर भी खनकेगी अखियां भी झलकेंगी..

प्यारे से सजना के अंगना में डोलूंगी..
रीती रिवाज़ो की फुलवारि को सींचूंगी..

मान बढ़ाके छांव बनाऊंगी..
हरी भरी फुलवारी में नन्हा फूल खिलाऊंगी..

प्रेम की शुरूआत से ही प्रेम ही सिखाऊंगी..
निष्ठा और पवित्रता से हर वचन में निभाउंगी
..
FB_IMG_1708238577553.jpg
Courtesy: शायरी और अल्फाज़
(Suggest heading if possible)
 
छोड़ कर खुशबू भी ले जाओगे..
तुम तो जाते ही इस जान को ले जाओगे..

यूं बीच राह में हाथ छोड़ लापता हो जाओगे..
हमसे या खुदसे खुदी को यूं छुपाओगे..

आखरी अर्ज करना रह गया था बाकी..
तुम महफ़िल को क्या यूंही रूसबा कर लौट जाओगे..

इस बार हाथ तुमने नहीं हमने पकड़ा है..
यूंही हमसे रूठ कर जाने नहीं पाओगे..

तुम क्यों दिल दुखाते हो अपनी सांसों का हिसाब गिनाते हो..
हम भी बैठ जाएंगे सजदों में फिर से.. हर दुआ को तेरा यूं पता दे आएंगे..

कोई बात है तो ज़रा हमें भी बताओ..
वो दीवारें हैं सिर्फ सुनना जानती है..

कितना मासूम है वो सब कह कर भी कहता है कुछ भी नहीं है..
मगर हम भी उसके कुछ नहीं में भी सब कुछ ढूंढ लेते हैं..

चंचल मन भागे फिरे है कोई तो आके विराम लगाए..
मन अटरिया में अंधियारी भरी है कोई तो प्रेम का दीप जलाए..

दरख्तों की शाखें हरी हो चली है..
पुरानी दराज़ो की धूली साफ हो चली है..

अब जाके आया है वो संदेशा पीया का..
अब फिर से सजेगा अंगना वो मेहंदी..

उठेगी फूलों से खिलती हुई डोली..
झांझर भी खनकेगी अखियां भी झलकेंगी..

प्यारे से सजना के अंगना में डोलूंगी..
रीती रिवाज़ो की फुलवारि को सींचूंगी..

मान बढ़ाके छांव बनाऊंगी..
हरी भरी फुलवारी में नन्हा फूल खिलाऊंगी..

प्रेम की शुरूआत से ही प्रेम ही सिखाऊंगी..
निष्ठा और पवित्रता से हर वचन में निभाउंगी
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Courtesy: शायरी और अल्फाज़
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bahut khoob Mitra
 
Heading: सुन साथी , वचन , प्रेम दीप , अल्फाजों में छुपी मैं
 
Heading: सुन साथी , वचन , प्रेम दीप , अल्फाजों में छुपी मैं
अल्फाजों में छुपी मैं
ये बेहतर है लेकिन इसी को और अच्छा नाम देना है...
 
छोड़ कर खुशबू भी ले जाओगे..
तुम तो जाते ही इस जान को ले जाओगे..

यूं बीच राह में हाथ छोड़ लापता हो जाओगे..
हमसे या खुदसे खुदी को यूं छुपाओगे..

आखरी अर्ज करना रह गया था बाकी..
तुम महफ़िल को क्या यूंही रूसबा कर लौट जाओगे..

इस बार हाथ तुमने नहीं हमने पकड़ा है..
यूंही हमसे रूठ कर जाने नहीं पाओगे..

तुम क्यों दिल दुखाते हो अपनी सांसों का हिसाब गिनाते हो..
हम भी बैठ जाएंगे सजदों में फिर से.. हर दुआ को तेरा यूं पता दे आएंगे..

कोई बात है तो ज़रा हमें भी बताओ..
वो दीवारें हैं सिर्फ सुनना जानती है..

कितना मासूम है वो सब कह कर भी कहता है कुछ भी नहीं है..
मगर हम भी उसके कुछ नहीं में भी सब कुछ ढूंढ लेते हैं..

चंचल मन भागे फिरे है कोई तो आके विराम लगाए..
मन अटरिया में अंधियारी भरी है कोई तो प्रेम का दीप जलाए..

दरख्तों की शाखें हरी हो चली है..
पुरानी दराज़ो की धूली साफ हो चली है..

अब जाके आया है वो संदेशा पीया का..
अब फिर से सजेगा अंगना वो मेहंदी..

उठेगी फूलों से खिलती हुई डोली..
झांझर भी खनकेगी अखियां भी झलकेंगी..

प्यारे से सजना के अंगना में डोलूंगी..
रीती रिवाज़ो की फुलवारि को सींचूंगी..

मान बढ़ाके छांव बनाऊंगी..
हरी भरी फुलवारी में नन्हा फूल खिलाऊंगी..

प्रेम की शुरूआत से ही प्रेम ही सिखाऊंगी..
निष्ठा और पवित्रता से हर वचन में निभाउंगी
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Courtesy: शायरी और अल्फाज़
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La jaba
छोड़ कर खुशबू भी ले जाओगे..
तुम तो जाते ही इस जान को ले जाओगे..

यूं बीच राह में हाथ छोड़ लापता हो जाओगे..
हमसे या खुदसे खुदी को यूं छुपाओगे..

आखरी अर्ज करना रह गया था बाकी..
तुम महफ़िल को क्या यूंही रूसबा कर लौट जाओगे..

इस बार हाथ तुमने नहीं हमने पकड़ा है..
यूंही हमसे रूठ कर जाने नहीं पाओगे..

तुम क्यों दिल दुखाते हो अपनी सांसों का हिसाब गिनाते हो..
हम भी बैठ जाएंगे सजदों में फिर से.. हर दुआ को तेरा यूं पता दे आएंगे..

कोई बात है तो ज़रा हमें भी बताओ..
वो दीवारें हैं सिर्फ सुनना जानती है..

कितना मासूम है वो सब कह कर भी कहता है कुछ भी नहीं है..
मगर हम भी उसके कुछ नहीं में भी सब कुछ ढूंढ लेते हैं..

चंचल मन भागे फिरे है कोई तो आके विराम लगाए..
मन अटरिया में अंधियारी भरी है कोई तो प्रेम का दीप जलाए..

दरख्तों की शाखें हरी हो चली है..
पुरानी दराज़ो की धूली साफ हो चली है..

अब जाके आया है वो संदेशा पीया का..
अब फिर से सजेगा अंगना वो मेहंदी..

उठेगी फूलों से खिलती हुई डोली..
झांझर भी खनकेगी अखियां भी झलकेंगी..

प्यारे से सजना के अंगना में डोलूंगी..
रीती रिवाज़ो की फुलवारि को सींचूंगी..

मान बढ़ाके छांव बनाऊंगी..
हरी भरी फुलवारी में नन्हा फूल खिलाऊंगी..

प्रेम की शुरूआत से ही प्रेम ही सिखाऊंगी..
निष्ठा और पवित्रता से हर वचन में निभाउंगी
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La jabab
 
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