कभी हँसी की गूंज थी, कभी खामोशी में भी शोर था,
हर कोना उस classroom का जैसे जज़्बातों का दौर था।
कभी बेंच पर लिखे नाम, कभी टिफिन में छुपी दोस्ती,
वो लम्हे अब यादों की बारात में सबसे खास मेहमान हैं।
आज जब पलटकर देखा तो एहसास हुआ ,
वक़्त तो आगे बढ़ गया, मगर दिल अब भी वहीं अटका है।
कुछ रिश्ते...